सट्टा किंग दिसावर (Satta King desawar) के धंधे में शामिल लोग खेल जीतने के लिए अपनी पसंद के नंबरों पर खूब पैसा लगाते हैं। जो रुपयों का यह खेल जीत लेता है, उसे Satta King या Matka King कहा जाता है और ढेर सारी रकम भी उसे प्राप्त हो जाती है। यूपी में भी कुछ लोग पैसा जीतकर सट्टा किंग, मटका किंग बनने के लिए सट्टा लगाते हैं।
जानिए कैसे हुई सट्टा किंग की शुरूआत
सट्टा किंग दिसावर (Satta King desawar) की शुरूआत न्यूयॉर्क कॉटन एक्सचेंज से बॉम्बे कॉटन एक्सचेंज से भेजी जाने वाली रुई के शुरुआती और अंतिम दामों पर सट्टा लगाने से हुई। 1961 में न्यूयॉर्क कॉटन एक्सचेंज ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद रतन खत्री ने काल्पनिक उत्पादों के शुरुआती और अंतिम दामों की सट्टेबाजी का एक नया तरीका निकाला। इसमें कागज के टुकड़ों पर नंबर लिखे जाते और फिर उन्हें एक मटके में रख दिया जाता। एक व्यक्ति चिट निकालता और विजेता नंबर की घोषणा करता। खत्री का मटका सोमवार से शुक्रवार चलता था जबकि कल्याणीजी भगत का मटका हफ्ते में सातों दिन चलता था।
यूपी में बहुत ही तेजी से फैल रहा सट्टा किंग दिसावर का खेल
ऑनलाइन सट्टा किंग दिसावर (Online Satta King desawar) का खेल यूपी में बहुत ही तेजी के साथ फैल रहा है। कुछ लोग जल्दी ही अमीर बनने के लिए भारत में होने वाले मैचों पर सट्टा लगाते हैं ताकि वह जल्दी ही खूब सारा पैसा जीतकर सट्टा किंग बन जाएं। उत्तर प्रदेश सहित पूरे भारत में सट्टा लगाना प्रतिबंधित है लेकिन फिर भी लोग पुलिस से बचकर खूब ऑनलाइन सट्टा लगाने की कोशिश करते हैं और यह भूल जाते हैं कि सट्टा लगाने से कभी भी धन की भारी हानि हो सकती है।
नोट – सट्टा किंग उत्तर प्रदेश सहित पूरे भारत में प्रतिबंधित हैं। इन खबरों का उद्देश्य आपको केवल जागरूक करना है, सट्टा किंग के लिए प्रेरित करना नहीं है।