गौरतलब है कि सावित्री बाई फूले 2012 से 2014 तक बहराइच की बलहा सीट से भाजपा विधायक रहीं। इसके बाद 2014 में बहराइच सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर लोकसभा पहुंची। मगर पार्टी से मोह भंग होने के बाद उन्होंने इस्तीफा देकर 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस का हाथ थाम लिया था। इसके बाद उन्होंने बहराइच से ही 2019 का लोकसभा चुनाव भाजपा के अक्षवरलाल गौड़ के खिलाफ लड़ा था। लेकिन अब कांग्रेस से भी मोह भंग होने के बाद सावित्री बाई फूले ने अपनी नई पार्टी खड़ी की है। सावित्री बाई फूले का कहना है कि दोनो ही पार्टियों में उनकी बात नहीं सुनी जा रही थी। इसलिए बगावत का बिगुल फूंक उन्होंने खुद की पार्टी का गठन कर दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के हितों के लिए कार्य करने का फैसला किया।
बहुजन हिताय-बहुजन सुखाय एक इंटरव्यू में सावित्री बाई फूले ने बताया कि कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और उप्र प्रभारी प्रियंका गांधी उनकी विचारधारा से सहमत नहीं हो सकीं। इसलिए उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी। उन्होंने कहा कि अब वह बहुजन हिताय-बहुजन सुखाय के नारे को सार्थक करने के लिए आन्दोलन का रास्ता अपनाएंगी।