scriptSavan Shivratri 2019 : भीम ने की थी भंवरेश्वर शिवलिंग की स्थापना, दर्शन मात्र से ही मनोकामना हो जाती है पूरी | Sawan Shivratri 2019 Bhanwareshwar Shivling Establishment and History | Patrika News

Savan Shivratri 2019 : भीम ने की थी भंवरेश्वर शिवलिंग की स्थापना, दर्शन मात्र से ही मनोकामना हो जाती है पूरी

locationलखनऊPublished: Aug 02, 2019 07:15:47 pm

Submitted by:

Neeraj Patel

सावन माह में भंवरेश्वर शिवालय मंदिर में हर रोज हजारों भक्त शिवलिंग का जलाभिषेक करने के लिए जाते हैं।

Sawan Shivratri 2019 Bhanwareshwar Shivling Establishment and History

Savan Shivratri 2019 : भीम ने की थी भंवरेश्वर शिवलिंग की स्थापना, दर्शन मात्र से ही मनोकामना हो जाती है पूरी

उन्नाव. सावन माह में भंवरेश्वर शिवालय मंदिर में हर रोज हजारों भक्त शिवलिंग का जलाभिषेक करने के लिए जाते हैं। यह भंवरेश्वर शिवालय मंदिर की दूरी उन्नाव के जनपद मुख्यालय से लगभग 62 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां पर भीम ने अपनी माता कुंती की प्रतिज्ञा को पूरी करने के लिए सई नदी के किनारे शिवलिंग की स्थापना की थी। जिसके बाद शिवालय को भीमेश्वर के नाम से जाना जाने लगा। तब से इस मन्दिर को भवरेश्वर शिवालय का नाम रख दिया गया। हरसाल सावन के महीने में भीमेश्वर मन्दिर में शिवलिंग का जलाभिषेक करने से सभी रोग दूर हो जाते हैं और लोगों की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

ये भी पढ़ें – त्रेता युग से जुड़ी हई है कांवर यात्रा की महत्ता – यहां जानिए पूरी कहानी

द्वापर युग में पांडवों के अज्ञातवास के दौरान माता कुंती शिवलिंग का जलाभिषेक किए बिना कुछ ग्रहण नहीं करती थी। माता कुंती की प्रतिज्ञा को पूरी करने के लिए भीम ने सई नदी के किनारे शिवलिंग की स्थापना की थी। जिसके बाद शिवालय को भीमेश्वर के नाम से जाना जाता था। आक्रांताओं के शासनकाल में भीमेश्वर ख्याति सुन शिवलिंग को निकालने का प्रयास किया गया। खुदाई के दौरान निकले भंवरे के हमलों से आक्रांताओं के सैनिक भाग खड़े हुए। जिसके बाद उस स्थान पर भंवरे निकलने के कारण शिवालय का नाम भंवरेश्वर हो गया। सावन माह में शिवलिंग का भक्तों द्वारा जलाभिषेक किया जाता है। शिवालय परिसर में भक्तों के लिए प्रसाद की दुकानें भी लगाई जाती हैं जहां पर बेल पत्ता धतूरा आदि भोले को पसंद आने वाली लगभग सभी प्रसाद सामग्री मिलती हैं। लखनऊ, रायबरेली, उन्नाव जनपद की सीमा से सटे भवरेश्वर बाबा का सिद्ध पीठ शिवलिंग पर वैसे तो 12 महीने शिव भक्तों के द्वारा जलाभिषेक करने का क्रम बना रहता है। लेकिन सावन के महीने में भक्तों का जनसैलाब उमड़ता है। सई नदी के किनारे स्थित भवरेश्वर महादेव शक्ति सिद्ध पीठ की मान्यता है कि जो सच्चे मन, भक्ति भाव से पूजा-अर्चना करता है। भोले बाबा उसकी सभी मनोकामना पूरी करते हैं। यहां की प्राकृतिक छटा भक्तों का मन मोह लेती है।

द्वापर युग में पांडव अज्ञातवास के दौरान सई नदी के किनारे अपना समय बिताया था। इस दौरान माता कुंती की पूजा अर्चना की प्रतिज्ञा को पूरी करने के लिए महाबलशाली भीम ने यहां पर शिवलिंग की स्थापना की थी। हिलोली विकास खंड के गांव बरेंदा में स्थित भवरेश्वर महादेव बाबा की प्रसिद्धि लखनऊ रायबरेली में भी है। राजनेताओं की भी भवरेश्वर शिवालय मंदिर में उपस्थिति होती है और शिवलिंग के दर्शन करते हैं। हरसाल सावन के महीने में भवरेश्वर शिवालय मंदिर में रुद्राभिषेक यज्ञ का आयोजन होता है।

ये भी पढ़ें – दैत्यराज बाणासुर ने की थी वाणेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना, जानिए क्या इस मन्दिर का महत्व

गायों के थन से स्वत: निकलता था दूध

भंवरेश्वर शिवालय मंदिर के महत्व के विषय में बताया जाता है कि यहां पर पहले विशाल जंगल था। जहां गांव से जानवर चरने के लिए आते थे। जहां एक खास स्थान पर गाय के आने पर उसका सारा दूध स्वत: निकलने लगता था। चरवाहे जब शाम को दूध दुहते थे। तो उन्हें कुछ नहीं मिलता था। इस पर चरवाहों ने खोजबीन चालू की। तो उन्हें पूरी जानकारी हुई। चर्चा अंग्रेजों के कान तक पहुंची तो उन्होंने क्षेत्र विशेष को खुदवाने का निर्णय लिया। जैसे-जैसे श्रमिक खोदते जाते थे। पत्थर का आकार बड़ा होता चला जा रहा था। उन्होंने बताया कि एक बार फावड़ा की चोट पत्थर के ऊपर जोर से पड़ गया। जिससे पत्थर से खून की धार निकलने लगी। इस पर भी अंग्रेजों ने कोई तवज्जो नहीं दिया और खुदाई लगातार जारी रखी। जैसे-जैसे खुदाई आगे चलती पत्थर का आकार बड़ा होता जा रहा था। इसी प्रकार खुदाई के दौरान फावड़ा की एक चोट पर दूध निकला।

ये रास्ते हैं सुगम

भवरेश्वर शिवालय मंदिर तक पहुंचने के लिए लखनऊ कानपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित भल्ला फार्म से कांथा, कालूखेड़ा होते हुए भवरेश्वर जाने का सबसे अच्छा और सुगम मार्ग है। जबकि लखनऊ से आने वाले भक्तों के लिए मोहनलालगंज, कालूखेड़ा होते हुए भवरेश्वर जाने का 48 किलोमीटर लंबा मार्ग है। इसके अतिरिक्त लखनऊ से मोहनलालगंज, निगोहा होते हुए लगभग 42 किलोमीटर का मार्ग है। लेकिन यह मार्ग सिंगल और गड्ढा युक्त है। इसी प्रकार रायबरेली जनपद गंगागंज, हरचंदपुर, बछरावां होते हुए लगभग 49 किलोमीटर की दूरी तय करके भंवरे सुर महादेव बाबा के दरबार में जाया जाता है।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो