लखनऊ

इलाहाबाद वाले इस आदमी के कारण तीन तलाक पर पाबंदी

उत्तराखंड की शायरा बानो का शौहर इलाहाबाद में रहता था, उसने शायरा की जिंदगी को तीन तलाक के जरिए नर्क बना दिया था।

लखनऊAug 22, 2017 / 01:08 pm

आलोक पाण्डेय

Triple Talaq Sayra Bano

 आलोक पाण्डेय
लखनऊ. लंबी लड़ाई और तीखी बहस के बाद आखिरकार तीन तलाक पर पाबंदी का फैसला सुना दिया गया। फिलवक्त पाबंदी की मियाद भले ही छह महीने है, लेकिन उम्मीदों पर कायम यकीन है कि तीन महीने की मोहलत में केंद्र सरकार तीन तलाक को हमेशा के लिए हिंदुस्तान से रुखसत कर देगी। शरीयत और इंसानियत में उलझी इस लड़ाई के तमाम रोचक पहलुओं में एक दिलचस्प किस्सा यह भी है कि तीन तलाक के खिलाफ कानूनी जंग की शुरुआत इलाहाबाद की धरती से हुई थी। उत्तराखंड की शायरा बानो का शौहर इलाहाबाद में रहता था, उसने शायरा की जिंदगी को तीन तलाक के जरिए नर्क बना दिया था। तमाम मिन्नत और आरजू के बावजूद इलाहाबादी आदमी का दिल नहीं पसीजा तो शायरा को मजबूर होकर बड़ी अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा था।
शौहर रिजवान ने खत के जरिए दिया था तीन तलाक

उत्तराखंड के काशीपुर इलाके में रहने वाली शायरा बानो का 20 साल पहले इलाहाबाद के रिजवान अहमद के साथ निकाह हुआ था। शुरुआती एक साल खुशनुमा रहे, इसके बाद औलाद नहीं होने की तोहमत लगाते हुए रिजवान की अम्मी ने तलाक के लिए उकसाना शुरू कर दिया। इसी दरम्यान शायरा एक बेटे और बेटी की मां बन गई। अब मुद्दा खूबसूरती और दौलत का था। शायरा को जबरन मायके भेज दिया गया। इसके बाद उसके लिए ससुराल के दरवाजे बंद थे। शायरा ने तमाम प्रयास किए, लेकिन रिजवान उसे साथ रहने को तैयार नहीं था। इसी दौरान रिजवान की जिंदगी में किसी और का दखल बढ़ा तो शायरा का बेचैन होना लाजिमी था। उसने गुहार लगाना तेज किया, रिश्तेदारों के सामने गिड़गिड़ाई, ससुराल पहुंचकर हाथ-पैर जोड़े, लेकिन नतीजा सिफर। इसी दौरान एक दिन काशीपुर में उसके अब्बू के घर में उसके नाम एक खत आया। लिफाफा खोलते ही उसके पैरों के नीचे से धरती सरक चुकी थी। उसे खत के जरिए रिजवान ने इलाहाबाद से तीन तलाक भेज दिया था।
शायरा बानो ने सीधे सुप्रीमकोर्ट का दरवाजा खटखटाया

शायरा बानो अनपढ़ नहीं है, उसे कानून की जानकारी मुकम्मल है। इसी नाते उसने निचली अदालतों में वक्त बर्बाद करने के बजाय सीधे बड़ी अदालत (सुप्रीमकोर्ट) का दरवाजा खटखटाया। शायरा ने अपनी अर्जी में लिखा कि तीन तलाक के कारण मुस्लिम महिलाओं की जिंदगी दोजख (नर्क) बन चुकी है। तीन तलाक का खौफ दिखाकर मुस्लिम मर्द अपनी औरतों को अपनी जायदाद बनाकर रखना चाहते हैं। शायरा बानो ने तीन तलाक के एक अन्य पहलू हलाला को भी बुरी प्रथा बताते हुए तीन तलाक पर पाबंदी लगाने की गुजारिश दर्ज कराई थी। चूंकि यह मामला शाहबानो प्रकरण की तरह मुस्लिम बिरादरी की शरीयत से जुड़ा था, ऐसे में सुप्रीमकोर्ट ने पांच सदस्यीय पीठ बनाकर मामले की सुनवाई का फैसला किया।
शायरा बानो की हिम्मत देखकर कारवां बढ़ता ही गया

तीन तलाक के खिलाफ कानूनी लड़ाई शुरू करते वक्त शायरा बानो अकेली थी, लेकिन उसकी हिम्मत देखकर मुस्लिम समाज की तमाम मजलिस (संगठन) भी उसके साथ खड़ी हो गईं। इसी दरम्यान तीन तलाक से पीडि़त कई अन्य महिलाओं ने भी पाबंदी की गुहार लगाते हुए अर्जी लगाई। उधर, मुंबई की भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन ने इस मुद्दे को धार देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखकर राजनीतिक दखल का आग्रह किया। भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन की प्रमुख प्रोफेसर जाकिया सोमन ने तीन तलाक से पीडि़त सौ महिलाओं की केस स्टडी बनाते हुए सुप्रीमकोर्ट में एक और अर्जी लगाई। शायरा की लड़ाई अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई थी। मंगलवार को बड़ी अदालत में मुस्लिम महिलाओं के लिए एक मंगलकारी फैसला सुनाया गया।

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