लखनऊ

सीएम योगी का चला हंटर, सपा सरकार में हुई इस भर्ती में घोटाले का खुला बड़ा खेल, बड़े-बड़ों पर दर्ज हुई एफआईआर

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से दोषी अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अनुमति के मिलने बाद एसआईटी (विशेष अनुसंधान दल) ने यह कार्रवाई की है।

लखनऊOct 29, 2020 / 09:03 am

नितिन श्रीवास्तव

सीएम योगी का चला हंटर, सपा सरकार में हुई इस भर्ती में घोटाले का खुला बड़ा खेल, दर्ज हुई एफआईआर

लखनऊ. यूपी में समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान हुए सहकारिता विभाग भर्ती घोटाले में सात नामजद आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से दोषी अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अनुमति के मिलने बाद एसआईटी (विशेष अनुसंधान दल) ने यह कार्रवाई की है। एसआईटी ने इस मामले में बीते दिनों अपनी जांच रिपोर्ट शासन को दी थी और दोषी अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किए जाने की सिफारिश की थी।
एफआईआर हुई दर्ज

एसआईटी की जांच में उत्तर प्रदेश कोआपरेटिव बैंक के तत्कालीन प्रबंध निदेशक हीरालाल यादव और रविकांत सिंह के अलावा उत्तर प्रदेश सहकारी संस्थागत सेवामंडल के तत्कालीन अध्यक्ष रामजतन यादव, सचिव राकेश कुमार मिश्र और सदस्य संतोष कुमार श्रीवास्तव के साथ संबंधित भर्ती कराने वाली कंप्यूटर एजेंसी एक्सिस डिजिनेट टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड के कर्मचारी राम प्रवेश यादव दोषी पाए गए थे। इन सभी पर अब एफआईआर दर्ज कर ली गई है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड और उत्तर प्रदेश सहकारी संस्थागत सेवामंडल की प्रबंध समिति के अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ भी धोखाधड़ी और षड्यंत्र समेत दूसरी धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की गई है।
इतने पदों पर हुई थीं भर्तियां

दरअसल उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक के सहायक प्रबंधक (सामान्य), सहायक प्रबंधक (कंप्यूटर) की साल 2015-16 और प्रबंधक व सहायक और कैशियर के पदों पर 2016-17 में की गई भर्तियों में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। सपा सरकार में साल 2012 से 2017 के बीच उत्तर प्रदेश सहकारी भूमि विकास बैंक, उत्तर प्रदेश राज्य भंडारण निगम और उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड में भर्ती के 49 विज्ञापन जारी हुए थे। जिनमें 40 विज्ञापन के तहत भर्ती की प्रक्रिया पूरी की गई थी। प्रबंधक, उप महाप्रबंधक, सहायक प्रबंधक, सहायक शाखा आंकिक, सहायक फील्ड आफिसर, सहायक प्रबंधक (कंप्यूटर), वरिष्ठ शाखा प्रबंधक और लिपिक के 2343 पदों पर भर्ती हुई थी।
भाजपा सररकार ने कराई जांच

बाद में प्रदेश की भाजपा सरकार ने अलग-अलग पदों पर हुई भर्ती में धांधली की शिकायतों पर पूरे प्रकरण की जांच एसआईटी को सौंपी थी। इनमें एक अप्रैल, 2012 से लेकर 31 मार्च, 2017 तक सहकारिता विभाग में सहकारी संस्थागत सेवा मंडल के जरिये की गईं सभी भर्तियों के अलावा कोऑपरेटिव बैंक के सहायक प्रबंधक के पदों पर की गई नियुक्तियों की जांच भी शामिल थी। एसआईटी ने सहायक प्रबंधक के पदों पर की गई भर्तियों की जांच पूरी करते हुए बीते दिनों अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपी थी। शासन ने अब उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड और उप्र सहकारी संस्थागत सेवामंडल, लखनऊ की तत्कालीन प्रबंध समिति के अधिकारियों और कर्मचारियों समेत सात आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अनुमति दे दी थी, जिसके बाद बुधवार को एफआइआर दर्ज कर ली गई है।
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