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स्कूल चलो अभियान : सुस्त रफ्तार पर 50 जिलों के बीएसए तलब

locationलखनऊPublished: Aug 04, 2018 04:45:58 pm

Submitted by:

Ashish Pandey

सूबे के 50 जिलों के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 2018-19 में विद्यार्थियों का नामांकन 2017-18 की तुलना में काफी कम हुआ है।

School chalo abhiyan

स्कूल चलो अभियान : सुस्त रफ्तार पर 50 जिलों के बीएसए तलब

लखनऊ. यूपी की योगी सरकार शिक्षा पर काफी फोकस कर रही है। सत्ता में आने के बाद से ही सीएम योगी प्राइमरी स्कूलों पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। सीएम ने स्कूल चलो अभियान को लेकर काफी सक्रियता दिखाई थी, लेकिन उसके बाद भी यह अभियान फिसड्डी साबित हो रहा है। सूबे के ५० जिलों में स्कूल चलो अभियान की गति काफी सुस्त है। इसको लेकर सरकार गंभीर है। वहीं बेसिक शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों ने अभियान में फेल साबित हो रहे 50 जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों (बीएसए) से जवाब तलब किया है। माना जा रहा है कि जांच के बाद इनके खिलाफ गाज गिरनी तय है। पिछले साल की अपेक्षा इस साल स्कूलों में दाखिले कम हुए हैं।
सूत्रों की माने तो यूपी में स्कूल चलो अभियान केवल कागजों में ही चल रहा है वैसे हकीकत में देखा जाए तो यह अभियान फेल साबित हो गया है।
सूबे के 50 जिलों के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 2018-19 में विद्यार्थियों का नामांकन 2017-18 की तुलना में काफी कम हुआ है।
सूबे में शिक्षा से वंचित 4 से 14 वर्ष तक की आयु के शत प्रतिशत बच्चों को स्कूलों से जोडऩे के लिए 1 अप्रैल से 30 जुलाई तक स्कूल चलो अभियान चलाया गया, जिसमें 30 जुलाई तक प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 1 करोड़ 51 लाख 1 हजार 247 विद्यार्थियों का नामांकन हुआ, जो गत वर्ष की तुलना में 3 लाख 20 हजार 800 कम है।
बेसिक शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि बेसिक शिक्षा निदेशक सर्वोद्र विक्रम सिंह ने स्कूलों में नामांकन कम होने पर 50 जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों से रिपोर्ट तलब की है।
इसलिए नामांकन पर असर पड़ा है
अधिकारियों का मानना है कि स्कूलों में निशुल्क यूनिफॉर्म, जूते-मोजे, निशुल्क पाठ्यपुस्तकें, निशुल्क स्कूल बैग समय पर वितरित नहीं होने से नामांकन पर असर पड़ा। वहीं, सहायक अध्यापक अभियान के दौरान अपना अंतरजनपदीय तबादला कराने के जुगाड़ में लगे रहे। सहायक अध्यापकों और शिक्षामित्रों ने घर-घर जाकर बच्चों को स्कूल से जोडऩे में रुचि नहीं दिखाई।
सूत्रों के मुताबिक, जिन जिलों के बीएसए से जवाब तलब किया गया है उनमें आगरा, अलीगढ़, अंबेडकर नगर, औरैया, बागपत, बहराइच, बलिया, बलरामपुर, बांदा, बाराबंकी, बरेली, भदोही, बदायूं, बुलंदशहर, चंदौली, चित्रकूट, देवरिया, एटा, इटावा, फैजाबाद, गौतमबुद्घ नगर, गाजीपुर, गोंडा, गोरखपुर, हमीरपुर, हापुड़ शामिल हैं।
इसके अतिरिक्त हरदोई, जौनपुर, झांसी, अमरोहा, कानपुर देहात, कानपुर नगर, कासगंज, ललितपुर, महोबा, मैनपुरी, मथुरा, मऊ, मेरठ, मुजफ्फरनगर, पीलीभीत, प्रतापगढ़, रामपुर, संभल, संतकबीर नगर, शाहजहांपुर, श्रावस्ती, सीतापुर, सोनभद्र और सुल्तानपुर के बीएसए से भी रिपोर्ट मांगी गई है।

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