अभियान चलाकर नगर विकास विभाग करवाएगा सफाई शहर में नियोजित तरीके से सेप्टिक टैंक बनाए जाने की वजह से जल प्रदूषित हो रहा है इसके साथ ही वायु प्रदूषण का भी खतरा बना रहता है जिसके चलते कई बीमारियां हो रही है और यह प्रदूषण वातावरण को भी खराब कर रहा है जिसको देखते हुए नगर विकास विभाग ‘मल कीचड़ एवं सेप्टेज प्रबंधन नीति’ लाने जा रहा है। इस नीति के तहत 2023 तक शहरी क्षेत्रों में बने सेप्टिक टैंक को अभियान चलाकर साफ करना है। साथ ही आगे आने वाले समय में सफाई पर विशेष ध्यान देना है। नगर विकास विभाग जल्द ही इस नीति को कैबिनेट की मंजूरी मिलने की तैयारी कर रहा है।
प्रदेश में 72 लाख सेप्टिक टैंक एक सर्वे में नगर विकास विभाग ने पाया कि प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में 86 फीसदी घरों में सेप्टिक टैंक हैं। नगर निगम में 78 फीसदी, पालिका परिषद में 90 फीसदी अौर नगर पंचायतों में 98 फीसदी घरों में सेप्टिक टैंक बने हुए हैं। प्रत्येक घर में एक सेप्टिक टैंक मानते हुए आकलन किया गया है कि प्रदेश में करीब 72 लाख सेप्टिक टैंक बने हुए हैं। नगर निगम में 30.2 लाख, नग पालिका परिषद में 26.7 लाख अौर नर पंचायतों में 15 लाख सेप्टिक टैंक बने हुए हैं।
सेप्टिक टैंक का सही रख-रखाव है जरूरी मल से दूषित सामग्री की विशाल मात्रा द्वारा प्रदूषण की वजह से दुनिया भर में जल की गुणवत्ता दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही है। सेप्टिक टैंक का सही से रख-रखाव होने से मल कीचड़ छलकने व दुर्गंध से लोगों के स्वास्थ्य का खतरा अधिक भर जाने से इसकी गंदगी बाहर आने पर स्वास्थ्य का खतरा अौर खुले खेतों में इसको बहाए जाने से प्रदूषण के साथ बीमारी का खतरा बना रहता है। नगर विकास विभाग की प्रस्ताबित नीति के मुताबिक घरों या प्रतिष्ठानों में सेप्टिक टैंक कैसे बनाए जाने है इसकी जानकारी तक लोगों को नहीं है। इसके चलते जल प्रदूषण के साथ वायु प्रदूषण का खतरा बना रहा है।