अनिल के. अंकुर
लखनऊ। यूपी और महाराष्ट्र में रिकार्ड पैदा हुई चीनी से चीनी उत्पादकों के चेहरे खिल उठे हैं। उत्तर प्रदेश के गन्ना आयुक्त संजय भुषरेड्डी अब अपनी खुशी को रोक नहीं पा रहे हैं। उनका कहना है कि यह सब सरकार की प्लानिंग की वजह से हुआ है। उधर चीनी मिल मालिकों की चिंता बढ़ गई है। उनका मानना है कि आवश्यकता से अधिक चीनी उत्पादन चीनी के मूल्य कम कर देगा। आपूर्ति और मांग का रेशियो सही रखने के लिए सुगर लॉबी ने एक योजना बनाई है कि बाहर की चीनी भारत में न आने दें। इधर अब यूपी सुगर मिल्स एसोसिएशन ने सरकार से मांग कर डाली है कि इस साल पाकिस्तान से चीनी न खरीदी जाए।
लखनऊ। यूपी और महाराष्ट्र में रिकार्ड पैदा हुई चीनी से चीनी उत्पादकों के चेहरे खिल उठे हैं। उत्तर प्रदेश के गन्ना आयुक्त संजय भुषरेड्डी अब अपनी खुशी को रोक नहीं पा रहे हैं। उनका कहना है कि यह सब सरकार की प्लानिंग की वजह से हुआ है। उधर चीनी मिल मालिकों की चिंता बढ़ गई है। उनका मानना है कि आवश्यकता से अधिक चीनी उत्पादन चीनी के मूल्य कम कर देगा। आपूर्ति और मांग का रेशियो सही रखने के लिए सुगर लॉबी ने एक योजना बनाई है कि बाहर की चीनी भारत में न आने दें। इधर अब यूपी सुगर मिल्स एसोसिएशन ने सरकार से मांग कर डाली है कि इस साल पाकिस्तान से चीनी न खरीदी जाए।
उत्पादन और दाम बना चिंता का विषय
चीनी मिलों द्वारा अगर गन्ने की पेराई कर सिर्फ और सिर्फ चीनी ही बनाई जाती रही तो अगले साल तक यह नौबत आ जाएगी कि बाजार में चीनी ज्यादा होगी और खरीददार कम। इसका नतीजा यह होगा कि भारी भरकम अतिरिक्त स्टाक के चलते चीनी के दाम धड़ाम से नीचे आ जाएंगे और फिर चीनी मिलें अपनी घटती भुगतान क्षमता के चलते किसानों को समय से उनसे खरीदे गन्ने का भुगतान ही नहीं कर पाएंगी।
चीनी मिलों द्वारा अगर गन्ने की पेराई कर सिर्फ और सिर्फ चीनी ही बनाई जाती रही तो अगले साल तक यह नौबत आ जाएगी कि बाजार में चीनी ज्यादा होगी और खरीददार कम। इसका नतीजा यह होगा कि भारी भरकम अतिरिक्त स्टाक के चलते चीनी के दाम धड़ाम से नीचे आ जाएंगे और फिर चीनी मिलें अपनी घटती भुगतान क्षमता के चलते किसानों को समय से उनसे खरीदे गन्ने का भुगतान ही नहीं कर पाएंगी।
हर साल भारत में होता है सवा दो लाख टन चीनी का उपयोग
चीनी उद्योग के जानकारों के अनुसार देश में चीनी का घरेलू उपभोग 225 से 230 लाख टन वार्षिक होता है। इस साल देश में लगभग 255 लाख टन चीनी उत्पादन होने का अनुमान है। इस तरह से घरेलू मांग से यह करीब 25 लाख टन अतिरिक्त होगा। पिछला कैरीओवर स्टाक 40 लाख टन का है। इस तरह इस बार करीब 65 लाख टन चीनी का कुल अतिरिक्त स्टाक बन जाएगा।
चीनी उद्योग के जानकारों के अनुसार देश में चीनी का घरेलू उपभोग 225 से 230 लाख टन वार्षिक होता है। इस साल देश में लगभग 255 लाख टन चीनी उत्पादन होने का अनुमान है। इस तरह से घरेलू मांग से यह करीब 25 लाख टन अतिरिक्त होगा। पिछला कैरीओवर स्टाक 40 लाख टन का है। इस तरह इस बार करीब 65 लाख टन चीनी का कुल अतिरिक्त स्टाक बन जाएगा।
इस साल डेढ़ लाख टन अतिरिक्त चीनी का होगा उत्पादन
चीनी उद्योग से जुड़े जानकार कहते हैं कि 2018-19 के अगले पेराई सत्र की बात करें तो उस वक्त 110 लाख टन चीनी महाराष्ट से बनेगी और 125 लाख टन चीनी यूपी से बनेगी। अगले पेराई सत्र में सिर्फ यूपी और और महाराष्ट्र से ही चीनी की पूरी घरेलू मांग यानि 230 लाख टन चीनी का उत्पादन होगा। बाकी अन्य गन्ना उत्पादक राज्यों कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार, पंजाब और गुजरात से करीब 70 लाख टन चीनी बनेगी। इस तरह से 65 लाख टन के पिछले कैरिओवर और अन्य राज्यों में उत्पादित 70 लाख टन अतिरिक्त चीनी को मिलाकर देश में करीब 140 लाख टन के आसपास ज्यादा चीनी का उत्पादन होगा।
चीनी उद्योग से जुड़े जानकार कहते हैं कि 2018-19 के अगले पेराई सत्र की बात करें तो उस वक्त 110 लाख टन चीनी महाराष्ट से बनेगी और 125 लाख टन चीनी यूपी से बनेगी। अगले पेराई सत्र में सिर्फ यूपी और और महाराष्ट्र से ही चीनी की पूरी घरेलू मांग यानि 230 लाख टन चीनी का उत्पादन होगा। बाकी अन्य गन्ना उत्पादक राज्यों कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार, पंजाब और गुजरात से करीब 70 लाख टन चीनी बनेगी। इस तरह से 65 लाख टन के पिछले कैरिओवर और अन्य राज्यों में उत्पादित 70 लाख टन अतिरिक्त चीनी को मिलाकर देश में करीब 140 लाख टन के आसपास ज्यादा चीनी का उत्पादन होगा।
सहालग देर से होने के करण बाजार ठंडा
चीनी उद्योग के यह जानकार उत्तर प्रदेश के चीनी उद्योग विभाग के बढ़ती ठंड में चीनी की मांग बढऩे के तर्क से भी सहमत न हीं हैं। उनके अनुसार इस बार सहालग देर से शुरू होने के चलते चीनी का बाजार सुस्त है। हर साल इस सीजन में 20 से 25 प्रतिशत चीनी की जो मांग बढ़ती थी वह इस बार दस फीसदी ही बढ़ पाई है।
चीनी उद्योग के यह जानकार उत्तर प्रदेश के चीनी उद्योग विभाग के बढ़ती ठंड में चीनी की मांग बढऩे के तर्क से भी सहमत न हीं हैं। उनके अनुसार इस बार सहालग देर से शुरू होने के चलते चीनी का बाजार सुस्त है। हर साल इस सीजन में 20 से 25 प्रतिशत चीनी की जो मांग बढ़ती थी वह इस बार दस फीसदी ही बढ़ पाई है।
सुगर लॉबी ने उठाई मांग
सुगर लॉबी की मांग है कि सरकर पाकिस्तान व अन्य देशों से चीनी न खरीदें। एसोसिशन के सुनील के. श्रीवास्तव ने कहा है कि इसके साथ ही सुगर मिलें चीनी कम बनाएं और गन्ने के रस को सीधे एथानाल में तब्दील करें। बची हुई चीनी घरेलू खपत के बाद बची चीनी श्रीलंका और बांग्लादेश को निर्यात करें। पाकिस्तान से पंजाब आ रही चीनी पर प्रभावी रोक लगाई जाए। ऐसा करने पर ही चीनी उद्योग को बचाया जा सकता है अन्यथा एक नया संकट खड़ा हो जाएगा।
सुगर लॉबी की मांग है कि सरकर पाकिस्तान व अन्य देशों से चीनी न खरीदें। एसोसिशन के सुनील के. श्रीवास्तव ने कहा है कि इसके साथ ही सुगर मिलें चीनी कम बनाएं और गन्ने के रस को सीधे एथानाल में तब्दील करें। बची हुई चीनी घरेलू खपत के बाद बची चीनी श्रीलंका और बांग्लादेश को निर्यात करें। पाकिस्तान से पंजाब आ रही चीनी पर प्रभावी रोक लगाई जाए। ऐसा करने पर ही चीनी उद्योग को बचाया जा सकता है अन्यथा एक नया संकट खड़ा हो जाएगा।