ये भी पढ़ें- Shabnam Case : शबनम को फांसी से बचाने के लिए खटखटाया मानवाधिकार का दरवाजा, याचिका खारिज राज्यपाल के इस कदम से सहर नकवी ने उनका आभार जताया है और उम्मीद की है कि शबनम को फांसी नहीं होगा व इससे उसके इकलौते बच्चे का भविष्य भी खराब होने से बच जाएगा। सहर ने शबनम के गुनाह या उसकी सजा पर कोई सवाल नहीं उठाए हैं। वह केवल उसकी सजा को उम्रकैद में तब्दील करना चाहती है। सहर नकवी ने राज्यपाल को लिखी चिट्ठी में दलील दी है कि भारत में महिलाओं को देवी की तरह पूजा व उनका सम्मान दिया जाता है। शबनम को यदि फांसी होती है तो इससे पूरी दुनिया में भारत व यहां की महिलाओं की छवि खराब होगी।
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सहर ने चिट्ठी में यह भी लिखा है कि शबनम के गुनाहों की सजा उसके बच्चे को मिलना ठीक नहीं होगा। शबनम को फांसी से उसके इकलौते बेटे ताज उर्फ बिट्टू (जिसका कारागार में ही जन्म हुआ) पर बुरा असर पड़ सकता है। उसे समाज ताना मारेगा, उसका मजाक उड़ाएगा। वह उपेक्षित महसूस करेगा। इससे उसका मानसिक विकास नहीं हो पाएगा व उसका भविष्य भी खराब हो सकता है।
यह था मामला-
अप्रैल 2008 में अमरोहा के बावनखेड़ी गांव की रहने वाली शबनम ने अपने प्रेमी सलीम संग मिलकर उनके रिश्ते में रोड़ा बन रहे अपने माता-पिता, दो भाई, भाभी व दुधमुंहे भतीजे सहित 7 लोगों की हत्या कर दी थी। बाद में दोनों दोषी साबित हुए और दोनों को जेल हुई। वारदात के दौरान शबनम गर्भवती थी। जेल में ही उसने बच्चे को जन्म दिया था। कोर्ट ने शबनम-सलीम को फांसी की सजा सुनाई थी।
अप्रैल 2008 में अमरोहा के बावनखेड़ी गांव की रहने वाली शबनम ने अपने प्रेमी सलीम संग मिलकर उनके रिश्ते में रोड़ा बन रहे अपने माता-पिता, दो भाई, भाभी व दुधमुंहे भतीजे सहित 7 लोगों की हत्या कर दी थी। बाद में दोनों दोषी साबित हुए और दोनों को जेल हुई। वारदात के दौरान शबनम गर्भवती थी। जेल में ही उसने बच्चे को जन्म दिया था। कोर्ट ने शबनम-सलीम को फांसी की सजा सुनाई थी।