यहां बचने का काफी ऑप्शन जानकारी के मुताबिक यह बातें सलीम आज भी बंदियों को बताता है। बताया जा रहा है कि 2020 के नवंबर में अपनी दया याचिका पर साइन करने के लिए उसे नैनी जेल से ऑफिस लाया गया था। वहां एक जेल अधिकारी ने जब उससे कहा कि अब तो तुम फांसी से नहीं बच सकते, तो उसने कहा साहब यहां बचने के इतने ऑप्शन मौजूद हैं कि फांसी होते-होते सालों लग जाएंगे। उसने कहा कि साहब आप परेशान मत होइए, इस देश में इतनी जल्दी कुछ नहीं होता। हालांकि जानकारी के मुताबिक, जब राषट्रपति रामनाथ कोविंद ने शबनम की दया याचिका खारिज की थी, तब सलीम के होश उड़ गए थे। लेकिन फांसी की तारीख आगे बढ़ते ही, सलीम फिर मस्त हो गया। वह जेल में बैठकर शायरी लिखने लगा।
सलीम को नहीं कोई पश्चाताप प्रयागराज के वरिष्ठ जेल अधीक्षक पीएन पाण्डेय ने बताया कि सात लोगों की हत्या का सलीम को न पहले पश्चाताप था और न आज वह इसके लिए शर्मिंदा है। लेकिन इतने सालों में उसने ऐसी कोई हरकत नहीं की जिससे किसी को कोई परेशानी हो। दूसरों से वह अच्छे से पेश आता है, साथियों की मदद करता है और पांच वक्त का नमाजी है। लेकिन आए दिन वह शबनम को याद किया करता रहता है और लोगों से इस बारे में चर्चा करता है।
सलीम एक अच्छा कारीगर दरअसल साल 2018 तक सलीम बरेली जेल में बंद था और फिर 27 सितंबर 2018 को उसे प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल भेज दिया गया। क्योंकि बरेली जेल में फांसी की सुविधा नहीं थी, इसलिए उसे नैनी शिफ्ट किया गया था। प्रयागराज के पुलिस अधीक्षक ने बताया कि सलीम एक अच्छा कारीगर है। जेल में ही उसने लकड़ी के काम की ट्रेनिंग ली थी। बढ़ई का काम सलीम बढ़िया कर लेता है। नैनी जेल में लकड़ी का काम बड़े स्तर पर किया जाता है। ऐसे में उसने शानदार तरीके से कई फर्नीचर बनाए हैं।