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Pitru Paksha special 2019 :आज हैं शनि अमावस्या कहा करें पितृ विसर्जन जाने कुछ खास

locationलखनऊPublished: Sep 28, 2019 12:37:40 pm

Submitted by:

Ritesh Singh

लखनऊ में स्थित यह धाम बहुत ही चमत्कारी हैं

Pitru Paksha special 2019 :आज हैं शनि अमावस्या कहा करें पितृ विसर्जन पर कुछ खास

Pitru Paksha special 2019 :आज हैं शनि अमावस्या कहा करें पितृ विसर्जन पर कुछ खास

लखनऊ , सूर्यपुत्र भगवान Shani Dev सुख-शांति, यश-वैभव, धन-सम्पत्ति एवं पद-प्रतिष्ठा के प्रदाता है।Shani Dev महाराज पृथ्वीवासियों को उनके कर्म के अनुसार दण्डित व पुरस्कृत करते हैं। पंडित शक्ति मिश्रा ने बतायाकि शास्त्रों के अनुसार शनि पर्वत पर ही भगवान शनिदेव ने घोर तपस्या कर मानव कल्याण के लिये शक्ति एवं बल प्राप्त किया। आज के इस युग में भगवान शनिदेव की पूजा का विशेष महत्व है।
लखनऊ में स्थित यह धाम बहुत ही चमत्कारी हैं

भगवान Shani Dev के अनेक मंदिर हैं। शनिदेव के मंदिरों में शिंगनापुर (महाराष्ट्र) का विशेष महत्व है। शिंगनापुर (महाराष्ट्र) के शनि मंदिर में शनि पर्वत की शिलापट्ट स्थापित है। उसी प्रकार शिलापट्ट लखनऊ के ‘ शनिदेव अहिमामऊ धाम’ में स्थापित हुई है। शनि पर्वत से लाई गई शिला का अपना एक अलग महात्म्य है। लखनऊ स्थित ‘Shani Dev अहिमामऊ धाम’ की शिला अलौकिक एवं अद्भुत होने के साथ-साथ अपने आप में चमत्कारिक भी है। जिसकी आराधना करने से भगवान शनि की कृपा मिलती है। इस धाम में भगवान सूर्य की पत्नी यानी शनि भगवान की माता छाया की प्रतिमा भी स्थापित है। जो सम्भवतः लखनऊ के किसी भी मन्दिर में नहीं है।
शनिदेव अहिमामऊ धाम के पवित्र स्थान पर शनि अमावस्या के दिन विशाल भण्डारे का आयोजन होता है। बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण ‘ शनिदेव अहिमामऊ धाम’ के दर्शन कर भण्डारे में प्रसाद ग्रहण करते हैं। यहां आकर अपार आत्मिक शांति का अनुभव होता है। इस बार Shani Amavasya के दिन ही पितृ विसर्जन भी है। इस दृष्टि से इसका और भी विशेष महत्व है।
ऐसी आये शनिदेव की प्रतिमा मिलती हैं शक्ति और कृपा

भगवान Shani Dev के उपासक एवं सिद्धहस्त राजस्थान निवासी ब्रह्मलीन स्वामी विरक्तानन्द महाराज मध्य प्रदेश के जनपद मुरैना स्थित शनि पर्वत से 1992 में शनिदेव शिला लाये थे और 11 वर्षों तक ध्यान मग्न रह कर साधना (घोर तपस्या) कर शिला की आराधना करते रहें। इसी मध्य स्वामी विरक्तानन्द महाराज की लखनऊ निवासी बद्री नारायण से भेंट हुई। बद्री नारायण प्रत्येक शनिवार को लखनऊ से लगभग 400 कि0मी0 दूर मुरैना (शनि पर्वत) भगवान शनिदेव के दर्शन के लिये जाते थे। स्वामी उनकी शनि महाराज के प्रति आस्था एवं भक्तिभाव को देखकर बहुत प्रभावित हुए।
स्वामी विरक्तानन्द महाराज ने बद्री नारायण से लखनऊ में किसी स्थान पर सिद्ध ‘ शनि शिला’ की स्थापना करने की इच्छा व्यक्त की तो वे स्वामी जी की इच्छा को टाल नहीं सके और लखनऊ के अहिमामऊ क्षेत्र स्थित अपनी भूमि पर ‘ शनि शिला’ स्थापित करने हेतु सहर्ष तैयार हो गये। इस प्रकार लखनऊ के अहिमामऊ क्षेत्र में सन् 2003 में इस अद्भुत एवं सिद्ध शिला की स्थापना हुई। जो आज ‘ शनिदेव अहिमामऊ धाम’ के नाम से प्रसिद्ध है। भगवान शनिदेव में आस्था रखने वाले बद्री नारायण द्वारा संरक्षक के रूप में आज भी ब्रह्मलीन स्वामी की आज्ञा का पालन करते हुए ‘ शनि शिला’ की नियमित एवं विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर भगवान Shani Dev का आर्शीवाद प्राप्त किया जा रहा है।शनिदेव अहिमामऊ धाम’ की कृपा से अहिमामऊ क्षेत्र का तीव्रगति से विकास हो रहा है। प्रत्येक शनिवार को यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण पहुंचते हैं।

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