scriptअयोध्या में बने राम मंदिर, पुराने लखनऊ में बने मस्जिद: शिया वक्फ बोर्ड | Shia waqf board proposal Ram mandir in ayodhya masjid in lucknow | Patrika News

अयोध्या में बने राम मंदिर, पुराने लखनऊ में बने मस्जिद: शिया वक्फ बोर्ड

locationलखनऊPublished: Nov 20, 2017 08:22:58 pm

Submitted by:

Prashant Srivastava

शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने पांच सूत्रीय फॉर्मुला सोमवार को पेश किया है। अयोध्या में बने राम मंदिर पुराने लखनऊ में बने मस्जिद…

ram mandir
लखनऊ. अयोध्या में राम मंदिर विवाद को सुलझाने के लिए शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने दोनों पक्षों के बीच समझौते का पांच सूत्रीय फॉर्मुला सोमवार को पेश किया है। इस फॉर्मुले के तहत अयोध्या में राम मंदिर और लखनऊ में मस्जिद बनाने की बात कही है। इस प्रपोजल पर कई महंतों ने सहमति जताई है। 5 दिसंबर को इस मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी।
सोमवार को शिया वक्फ बोर्ड वसीम रिजवी और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ये जानकारी दी। शिया वक्फ बोर्ड के फैसले पर आभार जताया और कहा कि इसके लिए हिंदू समाज उनका आभारी रहेगा।वसीम रिजवी ने कहा कि हम आपसी सहमति से हल निकालना चाहते हैं। इस मामले में लड़ाई-झगड़ा नहीं चाहते हैं। अयोध्या में राम मंदिर बने जबकि लखनऊ के हुसैनाबाद में मस्जिद-ए-अमन के नाम से मस्जिद बनाएंगे। इसका प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। हमने कभी भी कोई वकील कोर्ट में खड़ा नही किया तो शिया वक्फ बोर्ड की तरफ से किसने वकील खड़ा किया। इसकी जांच होनी चाहिये।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान वसीम रिजवी ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर बने, क्योंकि अयोध्या मंदिरों का शहर है। लखनऊ में मस्जिद बने जिसका नाम मस्जिद-ए-अमन रखा जाए।शिया वक्फ बोर्ड अयोध्या में रामजन्म भूमि पर दावा नहीं करेगा और मंदिर बनाने में मदद भी करेगा। उन्होंने ये भी सफाई दी कि हम ने कभी भी कोई वकील कोर्ट में खड़ा नही किया तो शिया वक्फ बोर्ड की तरफ से किसने वकील खड़ा किया , इसकी जांच होनी चहिए। हम मसौदे को सुप्रीम कोर्ट में पेश करेंगे।वहीं ‌अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने कहा कि हम शिया वक्फ बोर्ड के फैसले का स्वागत करते हैं। उन्होंने इस मामले पर जो अपना पक्ष रखा है उसका पूरा हिंदू समाज आभारी रहेगा।
शिया वक्फ बोर्ड ने किए ये पांच दावे


-शिया वक्फ बोर्ड का दावा है कि सुन्नी वक्फ बोर्ड का पूरा केस 26 फरवरी 1944 को जारी एक नोटिफिकेशन पर बेस्ड है। इसमें उसने बाबरी मस्जिद पर हक जताया था। लेकिन कोर्ट ने इस नोटिफिकेशन की वैलिडिटी पर शक जताया था। बाबरी मस्जिद पर सुन्नी वक्फ बोर्ड का रजिस्ट्रेशन भी फैजाबाद कमिश्नर की रिपोर्ट के आधार पर अवैध घोषित हो चुका था। लिहाजा, सुन्नी वक्फ बोर्ड को इस मामले में फैसला लेने का हक नहीं है।
– शिया वक्फ बोर्ड ने कहा कि हिंदुओं की आस्था का सम्मान करते हुए और राष्ट्र हित में विवाद खत्म करने के मकसद से हम राम मंदिर बनाने के लिए पूरी जमीन पर अपना हक छोड़ते हैं।
-लखनऊ के मोहल्ला हुसैनाबाद में नजूल की खाली पड़ी एक एकड़ जमीन शिया समुदाय को मस्जिद बनाने के लिए मिले। यह जमीन उत्तर प्रदेश सरकार दे।

– लखनऊ में मस्जिद किसी मुगल बादशाह के नाम पर नहीं होगी। मीर बाकी या किसी मुगल बादशाह के नाम पर मस्जिद नहीं होगी। इसे अमन की मस्जिद नाम दिया जाएगा। इस प्रपोजल पर यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन सैयद वसीम रिजवी, हनुमान गढ़ी निर्मोही अखाड़े के महंत रामदास, नृत्य गोपालदास, रामविलास वेदान्ती, श्रीपंच निर्वाणी अखाड़ा के महंत धर्मदास जैसे नेताओं के दस्तखत हैं।
– ड्राफ्ट में कहा गया है कि बाबरी मस्जिद को 1528 से 1529 के बीच मीर बाकी ने अयोध्या में बनवाया था। मीर बाकी बाबर के सेनापति थे और वो शिया मुसलमान थे।बाबरी मस्जिद बनने के बाद उसके मुतल्लवी (केयरटेकर) मीर बाकी ही रहे। मीर बाकी के बाद 1945 तक उनके परिवार के लोगों ने इस मस्जिद के मुतल्लवी का जिम्मा संभाला। ये सभी लोग शिया मुसलमान थे।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो