कार्यक्रम में कई शंकराचार्यो ने लिया हिस्सा
ब्रजेन्द्र दास जी महाराज ने कहा कि रामायण में बताये गये सिद्धांतो का यदि पालन किया जाये तो राष्ट्रीयता, एक दूसरे के प्रति कर्तव्य परायण तथा समास्याओं पर अंकूश लगाने में महत्वपूर्ण सफलता मिल सकती है।
बाद में कृष्ण मोहन तिवारी की अगुवाई में भण्डारा शरु हुआ
भण्डारे में हरिद्वार के शंकराचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी विश्वात्मानन्द पुरी जी महाराज, मध्य प्रदेश के मारकण्डेय संन्यास आश्रम ओंकारेश्वर के स्वामी प्रणवानन्द सरस्वती जी महाराज, हरियाणा के स्वामी विरागानन्द गिरि जी महाराज, हिमाचल प्रदेश के स्वामी विशुद्धानन्द गिरि महाराज, वाराणसी के आचार्य दिव्य चैतन्य महाराज, मार्कण्डेय संन्यास आश्रम ओंकारेश्वर के ब्र. किशोर चैतन्य जी महाराज, महामण्डलेश्वर स्वामी अभयानन्द सरस्वती महाराज समेत सैकड़ों की संख्या में भण्डारे का प्रसाद ग्रहण किया।