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पिता और चाचा हुए नाराज, तो अखिलेश निकालेंगे यह रास्ता…

locationलखनऊPublished: Oct 16, 2017 06:11:45 pm

Submitted by:

shatrughan gupta

सूची के जारी होने के बाद संभावना जताई जा रही है कि एक बार फिर अखिलेश और शिवपाल में द्वंद्व छिड़ सकती है।

लखनऊ. समाजवादी पार्टी (सपा) में सबकुछ एक बार फिर ठीक-ठाक होते-होते रह गया। दरअसल, पांच अक्टूबर को ताज नगरी आगरा में हुई पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि यूपी विधानसभा चुनाव से पहले से पार्टी चला आ रहा विवाद अब थम गया है। मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव में सुलह हो गई है। चर्चा यह भी थी कि बाप-बेटे में यह सुलह शिवपाल सिंह यादव कीे पार्टी में ससम्मान वापसी की शर्त पर हुई है।
अखिलेश यादव के करीबी भी कहते सुने गए थे कि अब शिवपाल की वापसी हो सकती है, लेकिन सोमवार को जारी हुई समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सूची ने समाजवादियों को चौका दिया है। क्योंकि, इतने कयास के बाद भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव को जगह नहीं दी है। इस सूची के जारी होने के बाद संभावना जताई जा रही है कि एक बार फिर अखिलेश और शिवपाल में द्वंद्व छिड़ सकती है।
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नाराज हो सकते हैं मुलायम…

वहीं, अखिलेश को आशीर्वाद देने वाले पिता मुलायम सिंह यादव फिर अपनी नाराजगी जता सकते हैं। राजनीति के जानकारों की मानें तो अब शिवपाल कड़ा रुख अख्तियार कर सकते हैं। वह अपनी नाराजगी बड़े भाई मुलायम से जता सकते हैं। साथ ही वह नई पार्टी पर भी विचार कर सकते हैं। हालांकि, अभी भी सपा में उनकी वापसी संभव हो सकती है। क्योंकि, पार्टी में प्रमुख महासचिव का दो पद है। एक पर प्रो. रामगोपाल यादव की नियुक्ति हो चुकी है, जबकि दूसरा पद खाली है। ऐसे में अगर मुलायम की नाराजगी बढ़ी तो अखिलेश प्रमुख महासचिव का दूसरा पद शिवपाल को देकर पिता को मना सकते हैं।
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अब शिवपाल यह ले सकते हैं फैसला!

पार्टी में दरकिनार चल रहे शिवपाल सिंह यादव अब अपने बड़े भाई मुलायम सिंह यादव से मुलाकात कर अपनी अगली रणनीति पर चर्चा कर सकते हैं। वे मुलायम से नई पार्टी के गठन को लेकर भी चर्चा कर सकते हैं। दरअसल, मुलायम के कहने पर ही शिवपाल इधर कई दिनों से अखिलेश के प्रति नरम थे। अखिलेश के अध्यक्ष बनने पर शिवपाल ने उन्हें ट्वीट और फोन कर बधाई दी थी। अखिलेश ने भी कहा था कि चाचा शिवपाल का आशीर्वाद उनके साथ है। लेकिन, पार्टी पदाधिकारियों की सूची जारी होने और उसमें शिवपाल का नाम न होने से शिवपाल फिर से अखिलेश के प्रति तीखे तेवर अपना सकते हैं।
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इस वजह से भी बढ़ सकती है नाराजगी…

दरअसल, हाल ही में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) छोड़कर सपा में शामिल हुए प्रदेश के पूर्व मंत्री इंद्रजीत सरोज को पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया है, जबकि शिवपाल का नाम गायब कर दिया गया है। इससे भी पार्टी संस्थापक मुलायम सिंह यादव अखिलेश से अपनी नाराजगी जता सकते हैं।
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एक रास्ता यह भी…

बताते चलें कि पांच अक्टूबर को आगरा में हुई सपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में संविधान संशोधन कर दो प्रमुख महासचिव का पद गठित किया गया है। इसमें से एक पर अखिलेश यादव के करीबी व उनके चाचा प्रोफेसर रामगोपाल यादव की नियुक्ति की गई है, जबकि एक पद अभी खाली है। ऐसे में अगर मुलायम या शिवपाल कोई बड़ा कदम उठाते हैं तो अखिलेश उन्हें शांत करने के लिए शिवपाल को पार्टी मेंं खाली दूसरे प्रमुख महासचिव के पद दे सकते हैं।
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सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में इनको मिली जगह…

सूची में किरनमय नंदा पहले की तरह पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने रहेंगे, जबकि प्रोफेसर रामगोपाल यादव को प्रमुख महासचिव का पद दिया गया है। समाजवादी पार्टी में 10 महासचिव मनोनीत किए गए हैं। इनमें यूपी के पूर्व मंत्री आजम खान, राज्य सभा सांसद नरेश अग्रवाल, रवि प्रकाश वर्मा, सुरेंद्र नागर, बलराम यादव, विशम्भर प्रसाद निषाद, अवधेश प्रसाद, इंद्रजीत सरोज, रामजी लाल सुमन, रामशंकर विद्यार्थी राजभर शामिल हैं।
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