…लेकिन नेताजी न आपकी सुनी गई और न मेरी सुनी गई
प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि यहां नेताजी बैठे हैं। आपके साथ मैंने 40 साल काम किया है। हम तो नेताजी से साथ सपा में ही रहना चाहते थे। मुख्यमंत्री क्या मंत्री का भी पद नहीं मांगा। नेताजी ने जो आदेश दिया उसका पालन किया। परिवार में चाहे छोटा हो या बड़ा है सबकी बात सुनी। आप सब लोग थे रजत जयंती पर मैंने कहा था कि मुझे कोई पद नहीं चाहिये। मुझे तो बस सम्मान चाहिए था। नेताजी को सम्मान चाहिये था। नेताजी मैने बहुत इंतजार किया। आपने भी बहुत प्रयास किया, लेकिन यह सब चुगलखोर, चापलूसों और और जनाधार विहीन लोगों की वजह से हुआ। मैंने उनका भी सम्मान किया, लेकिन नेताजी न आपकी सुनी गई और न मेरी सुनी गई। तब मैंने आपसे पूछकर पार्टी बनाई। भगवती सिंह, रामनरेश यादव गवाह हैं कि आपसे पूछा था। दुबारा भी आपसे पूछा तब पार्टी बनाई। देश को फिर से दंगे में झोंकने की साजिश है। नेताजी आप मुख्यमंत्री थे तब अक्टूबर 1989 में आपने बाबरी को बचाया था, लेकिऩ 1992 में क्या हुआ। हम देश को फिर दंगे में नहीं झोंकने देंगे।
प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि यहां नेताजी बैठे हैं। आपके साथ मैंने 40 साल काम किया है। हम तो नेताजी से साथ सपा में ही रहना चाहते थे। मुख्यमंत्री क्या मंत्री का भी पद नहीं मांगा। नेताजी ने जो आदेश दिया उसका पालन किया। परिवार में चाहे छोटा हो या बड़ा है सबकी बात सुनी। आप सब लोग थे रजत जयंती पर मैंने कहा था कि मुझे कोई पद नहीं चाहिये। मुझे तो बस सम्मान चाहिए था। नेताजी को सम्मान चाहिये था। नेताजी मैने बहुत इंतजार किया। आपने भी बहुत प्रयास किया, लेकिन यह सब चुगलखोर, चापलूसों और और जनाधार विहीन लोगों की वजह से हुआ। मैंने उनका भी सम्मान किया, लेकिन नेताजी न आपकी सुनी गई और न मेरी सुनी गई। तब मैंने आपसे पूछकर पार्टी बनाई। भगवती सिंह, रामनरेश यादव गवाह हैं कि आपसे पूछा था। दुबारा भी आपसे पूछा तब पार्टी बनाई। देश को फिर से दंगे में झोंकने की साजिश है। नेताजी आप मुख्यमंत्री थे तब अक्टूबर 1989 में आपने बाबरी को बचाया था, लेकिऩ 1992 में क्या हुआ। हम देश को फिर दंगे में नहीं झोंकने देंगे।
नए संदर्भों में सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष
शिवपाल ने कह रखा है कि हम सामाजिक विकास में पिछड़ गए तमाम जातीय समूहों और वर्गो को अपने साथ जोडऩा चाहते हैं। पार्टी सामाजिक न्याय की लड़ाई को नए संदर्र्भों से जोड़ते हुए लड़ेगी। जनाक्रोश रैली के लिए रमाबाई अंबेडकर मैदान और आसपास का इलाका पार्टी के झंडों, बैनरों, होर्डिंग्स व पोस्टरों से सजाया गया था। यूपी के जेहन में सवाल, उम्मीद शिवपाल, फिर संघर्ष की मशाल, आपके लिए निकल पड़े शिवपाल, हजार सवाल और एक जवाब शिवपाल जैसे नारे लिखे होर्डिंग्स से राजधानी पटी नजर आती रही।
शिवपाल ने कह रखा है कि हम सामाजिक विकास में पिछड़ गए तमाम जातीय समूहों और वर्गो को अपने साथ जोडऩा चाहते हैं। पार्टी सामाजिक न्याय की लड़ाई को नए संदर्र्भों से जोड़ते हुए लड़ेगी। जनाक्रोश रैली के लिए रमाबाई अंबेडकर मैदान और आसपास का इलाका पार्टी के झंडों, बैनरों, होर्डिंग्स व पोस्टरों से सजाया गया था। यूपी के जेहन में सवाल, उम्मीद शिवपाल, फिर संघर्ष की मशाल, आपके लिए निकल पड़े शिवपाल, हजार सवाल और एक जवाब शिवपाल जैसे नारे लिखे होर्डिंग्स से राजधानी पटी नजर आती रही।
अभूतपूर्व रैली का दावा किया शिवपाल सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी में उपेक्षा से क्षुब्ध होकर पहले समाजवादी सेकुलर मोर्चा और फिर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) बनाई और 75 जिलों में संगठनात्मक ढांचा खड़ा किया। इसके बाद आनुषांगिक संगठनों को सक्रिय किया। रैली के लिए शिवपाल के समर्थक प्रदेश के कोने-कोने से यहां पहुंचे हैं। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता सीपी राय ने अभूतपूर्व रैली का दावा किया है।