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भाजपा के लिए शिवपाल कभी थे दुश्मन, आज हो गए प्यारा, बंगला मिला न्यारा

locationलखनऊPublished: Oct 13, 2018 02:00:56 pm

Submitted by:

Ruchi Sharma

भाजपा के लिए शिवपाल कभी थे दुश्मन, आज हो गए प्यारा, बंगला मिला न्यारा
 
 

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भाजपा के लिए शिवपाल कभी थे दुश्मन, आज हो गए प्यारा, बंगला मिला न्यारा

महेंद्र प्रताप सिंह
लखनऊ. राजनीति भी कितनी विचित्र चीज है। कुछ माह तक पहले योगी सरकार शिवपाल यादव को जेल भिजवाने के लिए हर जतन कर रही थी। गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में शिवपाल पर भी शिकंजा कसा जा रहा था। खुद मुख्यमंत्री ने 1513 करोड़ के घपले-घोटाले में सीबीआई जांच तेज करने का अनुरोध किया था। ईडी दफ्तर में भी मामले से जुड़ी फाइलों की आवाजाही की रफ्तार तेज हो गयी थी। भाजपाई तो शिवपाल को इस मामले में काल कोठरी में सड़ाने की बात कहने लग गए थे। लेकिन,अचानक सब कुछ बदल गया। माहभर पहले शिवपाल सपा के बागी हो गए। नयी राह चुनी और नयी पार्टी का पंजीकरण करा लिया। इसके साथ ही योगी सरकार का रुख भी बदल गया। पहले डिप्टी सीएम केशव मौर्या का बयान आया। शिवपाल चाहें तो भाजपा में शामिल हो जाएं। अब सरकार भी शिव भक्त हो गयी। कहां तो शिवपाल के लिए जेल की कोठरी की बात हो रही थी और मिल गया आलीशान बंगला। जल्दी ही जेड प्लस की सुरक्षा भी मिल जाएगी। इसीलिए कहा जाता है राजनीति में स्थायी रूप से कभी कोई दोस्त और दुश्मन नहीं होता।
सियासत का रुख पलटा
शिवपाल को मिले आलीशन बंगले ने यूपी की सियासत का रुख पलट दिया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर दो माह पहले मायावती ने इस बंगले को खाली किया था। तब स्वास्थ्य मंत्री से लेकर डिप्टी सीएम तक ने इस बंगले की ख्वाहिश जतायी थी। लेकिन इन नेताओं को यह बंगला नसीब नहीं हुआ। शिवपाल को इस बंगले का आवंटन उनकी और सत्ताधारी भाजपा की बढ़ती नजदीकियों के तौर पर देखा जा रहा है। राजनीतिक विश्लेष्कों का मानना है कि गोमती रिवर फ्रंट घोटाले के कसते शिकंजे और सपा में उपेक्षा के चलते शिवपाल ने भाजपा के इशारे पर सपा से अलग होने का निर्णय लिया।
..क्या है रिवर फ्रंट घोटाला
लखनऊ गोमती रिवर फ्रंट घोटाला करीब 1513 करोड़ रुपए का है। सरकार का कहना है कि इस प्रोजेक्ट में बगैर काम किए ही 1437 करोड़ रुपए यानी 95 फीसदी राशि ठेकेदारों को जारी कर दी गई। माना जाता है कि यह सब तत्कालीन सिंचाई मंत्री शिवपाल सिंह यादव के इशारे पर हुआ। सीबीआई घोटाले की जांच कर रही है। ईडी की रिपोर्ट पर कुछ इंजीनियरों को जेल भी भेजा जा चुका है।
सपा को कमजोर करने की रणनीति
राजनीति के जानकारों का कहना है कि सपा और बसपा के संभावित गठबंधन को कमजोर करने के लिए भाजपा ने शिवपाल पर पहले घपले-घोटाले का शिकंजा कसा और बाद में सपा में तोडफ़ोड़ करवा दी। शिवपाल का मोर्चा सपा के ही वोटबैंक में ही सेंधमारी करेगा। इसलिए भाजपा सरकार शिवपाल को मोहरे के रूप में इस्तेमाल कर रही है। उप्र विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा ने इसी तरह बसपा से स्वामी प्रसाद मौर्य,बृजेश पाठक सहित तमाम नेताओं को पार्टी में शामिल कर मायावती को नुकसान पहुंचाया था।
नेताओं और जिम्मेदारों की राय
-राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियों को कार्यालय खाली करने के नोटिस मिल रहे हैं। दूसरी तरफ, एक पार्टी जो अभी बनी ही है, उसके नेता को बंगला आवंटित किया जा रहा है। यह भाजपा सरकार का दोहरा मापदंड है।
रमेश दीक्षित,नेता, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी
-भाजपा आम चुनाव जीतने के लिए हर कर्म कर रही है। वह इसके लिए चाचा-भतीजे में फूट डाल रही है। लोगों के घर उजाड़ रही है। पाॢटयां तोड़ रही है। शिवपाल को लॉलीपाप इसका जीता-जागता उदाहरण है।
अनुराग भदौरिया, सपा प्रवक्ता
मैं सीनियर विधायक हूं। पिछले छ बार से एमएलए हूं। अब मुझे टाइप छह बंगले की जरूरत है। इसके लिए मैंने अप्लाई किया था, मुझे बंगला आवंटित हो गया। इसको राजनीतिक चश्में से देखने की जरूरत नहीं।
शिवपाल सिंह यादव, संयोजक, समाजवादी सेक्युलर मोर्चा
-शिवपाल वरिष्ठ राजनेता हैं। वे पांच बार विधायक रहे हैं। वे श्रेणी छह के बंगले के पात्र हैं। शिवपाल यादव ने आवेदन कर अपने लिए सरकारी आवास की मांग की थी। इसलिए उन्हें छह, लाल बहादुर शास्त्री मार्ग दे दिया गया।
योगेश शुक्ला, राज्य संपत्ति अधिकारी उप्र

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