सपा में अलग-थलग पड़े शिवपाल अस्तित्व के लिए बगावत के मूड में दरअसल समाजवादी पार्टी के प्रदेश सम्मेलन से पूर्व शिवपाल यादव ने लोहिया ट्रस्ट की बैठक कर सचिव पद से प्रोफेसर रामगोपाल यादव को बर्खास्त कर दिया था। उसी दिन शिवपाल यादव ने ऐलान किया था कि 25 सितंबर को मुलायम सिंह यादव प्रेस कांफ्रेंस कर बड़े सियासी कदम का ऐलान करेंगे। शिवपाल यादव का संकेत नई पार्टी या नए मोर्चे के गठन को लेकर था। हालाँकि प्रेस कांफ्रेंस के ठीक पहले मुलायम सिंह यादव का मूड बदल गया और उन्होंने किसी बड़े कदम का ऐलान करने से इंकार करते हुए समाजवादी पार्टी को मजबूत करने की अपील की। उनके साथ प्रेस कांफ्रेंस में शिवपाल यादव मौजूद नहीं थे। शिवपाल यादव और उनके समर्थकों के लिए यह बड़ा झटका था। मुलायम ने भले ही इस प्रेस कांफ्रेंस में अखिलेश यादव को धोखेबाज बताया लेकिन अपना आशीर्वाद देने का भी ऐलान किया। मुलायम के यूटर्न के बाद शिवपाल यादव पूरी तरह अलग-थलग पड़ गए। माना जा रहा है कि शिवपाल यादव आने वाले दिनों में किसी नई सियासी रणनीति का ऐलान कर अपने राजनीतिक अस्तित्व को कायम रखने की पहल करेंगे।
खास समर्थक और पूर्व मंत्री शारदा प्रताप ने मुलायम को पुत्र मोही बताया शिवपाल यादव ही नई पार्टी के गठन का संकेत दे रहे हों, ऐसा नहीं हैं। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री शारदा प्रताप शुक्ला ने भी एक कार्यक्रम में मुलायम मुलायम सिंह यादव को पुत्र मोह से ग्रस्ति व्यक्ति बताया। शारदा प्रताप शुक्ल शिवपाल यादव और मुलायम सिंह यादव दोनों के करीबी माने जाते हैं। उनके ताजा बयान के बाद माना जा रहा है कि शिवपाल गुट में अंदरखाने कुछ खिचड़ी पक रही है और आने वाले दिनों में कोई बड़ा ऐलान उनकी ओर से किया जा सकता है। समर्थक अपने नेता के अगले कदम के इन्तजार में हैं। शिवपाल सिंह यादव युवा वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष स्वदेश यादव कहते हैं कि नेताजी और शिवपाल जी के बीच कभी कोई विवाद या मतभेद नहीं हो सकता। शिवपाल यादव बेहद भोले हैं और वे समाजवादी पार्टी से अलग नहीं होना चाहते लेकिन यदि अपने आत्मसम्मान के लिए वे कोई कदम उठाते हैं तो समर्थक उनके साथ खड़े दिखेंगे।
पिता के परोक्ष समर्थन के बाद सपा को मजबूत करने में जुटे अखिलेश दूसरी ओर नेताजी का आशीर्वाद मिलने के बाद अखिलेश ने चैन की सांस ली है। अखिलेश यादव पार्टी को मजबूत करने की रणनीति में जुट गए हैं। सपा जिस सबसे बड़ी चुनौती के डर का सामना कर रही थी, वह चुनौती थी मुलायम सिंह यादव के संभावित नए पार्टी के ऐलान का। नई पार्टी के गठन की संभावना को नकारकर मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश को संजीवनी दे दी है। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अनुराग भदौरिया कहते हैं कि पिता और पुत्र में कभी कोई मतभेद था ही नहीं। जिन लोगों ने मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के प्रेम को नहीं समझा है, वे कुछ भी कयास लगा सकते हैं। शिवपाल यादव की संभावित रणनीति के बारे में भदौरिया कहते हैं कि समाजवादी पार्टी के बाहर जाकर कोई कुछ करने का इरादा कर रहा तो उसके बारे में वे टिप्पणी का अधिकार नहीं रखते।
भाजपा को डिजिटल मैदान पर चुनौती देने के लिए कोर टीम तैनात मुलायम सिंह यादव का आशीर्वाद मिलने के बाद अखिलेश यादव ने पार्टी के डिजिटल प्लेटफार्म को और अधिक मजबूत करने की शुरुआत कर दी है। एक ओर जहाँ विधान सभा चुनाव में सपा के चुनावी अभियान में विभिन्न तरह के डिजिटल तौर तरीकों का उपयोग शुरू हो गया था तो अब पार्टी ने आगामी रणनीति को ध्यान में रखते हुए अपनी डिजिटल सेना को और अधिक मजबूत करने का निर्णय लिया है। पार्टी ने समाजवादी डिजिटल फ़ोर्स नाम की वेबसाइट लांच की है जिसके माध्यम से एक नए तरह की सदस्यता अभियान शुरू की गई है। भाजपा को डिजिटल तरीके से चुनौती देने के सवाल पर सपा प्रवक्ता अनुराग भदौरिया कहते हैं कि हमारा भाजपा से कैसे मुकाबला हो सकता है। उनके मुख्यमंत्री और दो उपमुख़्यमंत्रियों में से कौन डिजिटल तरीकों का उपयोग करता है या उन्हें कितनी जानकारी है, जबकि सभी लोग जानते हैं कि सरकार में आने के बाद से ही अखिलेश यादव ने हर काम को डिजिटल तरीके से इम्प्लीमेंट किया। लैपटॉप वितरण से डिजिटल जागरूकता फैली और सरकारी योजनाओं में भी उन्होंने ऑनलाइन काम को बढ़ावा दिया। पार्टी स्तर पर भी सपा हमेशा से ऑनलाइन माध्यमों और सोशल मीडिया का उपयोग करती रही है। पार्टी ने नई वेबसाइट का उद्घाटन किया है, जिसके माध्यम से कोई व्यक्ति ऑनलाइन आवेदन कर पार्टी की सदस्यता ले सकता है।