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शिवपाल ने खेला बड़ा दांव, अखिलेश पर दबाव को बनाई ऐसी रणनीति कि…

locationलखनऊPublished: Sep 22, 2017 09:28:15 pm

Submitted by:

Ashish Pandey

मुलायम को आगे कर पार्टी के आपसी संग्राम का नया मोर्चा खोल दिया है।
 

akhilesh, shivpal and mulayam

akhilesh, shivpal and mulayam

लखनऊ. समाजवादी पार्टी में चुनाव से पहले छिड़ी रार अभी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। अब पार्टी के आपसी संग्राम का नया मोर्चा खुल गया है। सपा में अखिलेश यादव ने मुलायम सिंह यादव को राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से हटा कर उन्हें हासिए पर तो ला ही दिया है। यानी मुलायम सिंह यादव को नेपथ्य में कर दिया। लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल यहां यह है कि शिवपाल सिंह यादव मुलायम सिंह यादव की तरह नेपथ्य में जाने को तैयार नहीं हैं वे यह भी जानते हैं कि सपा में अब उनकी अखिलेश यादव के सामने कुछ चलने वाली नहीं है इसीलिए वे अपने बड़े भाई मुलायम सिंह यादव को आगे करके शांत लग रही राख की चिंगारी को हवा दे दिया है। यानी समाजवादी पार्टी के आपसी संग्राम का नया मोर्चा खुल गया है।
सपा संरक्षक मुलयाम सिंह यादव के मन में फले ही कोई चिंगारी हो या न हो लेकिन शिवपाल के मन में तो लावा उबल ही रहा है क्योंकि उन्हें अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन को पाने के लिए कुछ न कुछ तो करते रहना ही है। शायद इसी लिए अब लोहिया ट्रस्ट के सचिव पद से रामगोपाल यादव को हटा दिया गया है और उनकी जगह मुलायम सिंह ने शिवपाल यादव को नियुक्त कर दिया है।
आखिर क्यों परेशान हैं शिवपाल?
जसवंत नगर से सपा विधायक शिवपाल यादव की ताजा बेचैनी यह है कि 23 सितंबर को समाजवादी पार्टी का प्रदेश सम्मेलन हो रहा है। उसमें पार्टी का नया प्रदेश अध्यक्ष चुना जाना है। वहीं पांच अक्टूबर को आगरा में राष्ट्रीय सम्मेलन भी होने वाला है। इसमें शिवपाल यादव को औपचारिक निमंत्रण तक नहीं भेजा गया है, जबकि वे लगातार इस बात की मांग कर रहे हैं कि मुलायम सिंह यादव को फिर से समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया जाए।
शिवपाल यादव को लगता होगा कि अखिलेश यादव पर इस समय दबाव डालने का सही समय है और दबाव डालने के लिए उनके पास एक ही तुरुप है वह हैं मुलायम सिंह यादव चूंकि मुलयाम सिंह सीधे अपने बेटे अखिलेश यादव पर निशाना साधेंगे नहीं, इसलिए वार किया गया रामगोपाल यादव पर और मुलायम सिंह भी रामगोपाल यादव को ही सारे झगड़े की जड़ बताते हैं और मानते हैं क्योंकि रामगोपाल यादव के पहल पर ही सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर मुलायम सिंह हो हटाकर अखिलेश यादव को राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया।
इसलिए मुलायम ने रामगोपाल को लोहिया ट्रस्ट से निकाल दिया है। बतादें कि लोहिया ट्रस्ट कोई राजनीतिक संगठन है नहीं। वह लोहिया जी के विचारों के प्रचार-प्रसार के लिए बना ट्रस्ट है। मुलायम जरूर इसे पार्टी का महत्वपूर्ण संगठन मानते हैं। अखिलेश ने मुख्यमंत्री बनने के बाद छोटे लोहिया कहलाने वाले जनेश्वर मिश्र के नाम पर भी ऐसा ही संगठन बनाया है।

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