लखनऊ

शिवपाल बनाएंगे जल्द नई पार्टी, कार होगा चुनाव चिह्न

बेटे आदित्य को सौंपेंगे बड़ी जिम्मेदारी।
 

लखनऊAug 30, 2018 / 03:03 pm

Ashish Pandey

शिवपाल बनाएंगे जल्द नई पार्टी, कार होगा चुनाव चिह्न

लखनऊ. शिवपाल यादव जल्द ही नई पार्टी बनाएंगे और उनका चुनाव चिह्न कार होगा। शिवपाल यादव ने अभी समाजवादी सेकुलर मोर्चा बनाया है, लेकिन वे इस प्लेटफार्म को जल्द ही नई पार्टी में तब्दील कर सकते हैं। लेकिन इसमें अभी देर है क्योंकि शिवपाल अभी सपा के विधायक हैं। पार्टी बनाने से उनकी सदस्यता पर आंच आ सकती है। वहीं सूत्रों कीमानें तो उनकी नई पार्टी का खांका तैयार और चुनाव निशान कार उन्हें मिल सकता है।
सपा में काफी दिनों से उपेक्षित चल रहे शिवपाल ने आखिरकार सेकुलर मोर्चा बनाने की घोषणा कर ही दी। वह इसके लिए रणनीति भी बना रहे हैं। बेटे आदित्य को बड़ी जिम्मेदारी सौंपने की बात चल रही है। वहीं शिवपाल ने कहा, कि वे मुलायम सिंह यादव को सम्मान वापस दिलाएंगे। सेकुलर मोर्चा के औपचारिक गठन के बाद यह तो तय हो गया है कि अब सपा में शुरू हुई यह रार शायद ही खत्म हो। अब शिवपाल इतना आगे निकल चुके हैं कि उनके लिए सपा में फिर से बने रहना अच्छा नहीं होगा। शिवपाल ने उपेक्षित समाजवादियों और छोटे दलों को इस मोर्चा से जोडऩे की बात कही है। इससे इतना तो तय है कि शिवपाल सपा-बसपा के गठबंधन को ही कमजोर करेंगे और इससे भाजपा को फायदा मिलेगा।
नेताजी का सम्मान वापस दिलाऊंगा
शिवपाल यादव ने कहा है कि वे नेताजी (मुलायम सिंह यादव) कह रहे हैं कि उनको सम्मान नहीं दिया जाता। उनकी उपेक्षा हो रही है। मोर्चा बनाकर नेताजी का सम्मान वापस दिलाऊंगा। खुद भी सम्मान करुंगा और उनसे भी सम्मान दिलाने का आग्रह करुंगा जो उनका अभी सम्मान नहीं कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वे मुलायम सिंह को मोर्चा से जोड़ेंगे।
सपा को ही पहुंचाएंगे नुकसान
शिवपाल यादव समाजवादी पार्टी को तो नुकसान पहुंचाएंगे ही साथ ही सपा-बसपा गठबंधन की गणित को भी बिगाडऩे में उनकी बड़ी भूमिका होगी। शिवपाल ने जिस तरह से कहा है कि वे सपा के उपेक्षित लोगों को जोडऩे के साथ-साथ छोटे-छोटे दलों को भी शामिल करेंगे। बता दें कि शिवपाल यादव भी अब यह अच्छी तरह से जान गए हैं कि सपा में सुलह-समझौते की कोई गुंजाइश नहीं बची है। शिवपाल यादव को पार्टी में जिस तरह से अखिलेश यादव ने हासिए पर ला दिया था, इससे शिवपाल के लिए सपा में बने रहना उनकी राजनीतिक पारी का समापन ही था। ऐसे में शिवपाल यादव के पास दो विकल्प सामने थे। एक या तो वे अपनी नई पार्टी बनाएं या फिर किसी अन्य पार्टी में शामिल हो जाएं। लेकिन शिवपाल ने अंतत: नई पार्टी बनाने का ही इरादा बनाया और उसकी घोषणा भी कर डाली। वहीं शिवपाल को अब अपनी सियासी सुरक्षा के लिए कोई न कोई विकल्प चुनाना ही पड़ेगा। इसीलिए उन्होंने सेकुलर मोर्चा को मतबूत बनाने का दांव चला है। साथ ही सपा-बसपा गठबंधन से बन रहे वोट का गणित बिगाडऩे का संदेश देकर दबाव बनाने की भी कोशिश की है।
शिवपाल ने एक तरह से यह संदेश देने की कोशिश की है कि वे सियासी तौर पर भले ही अपना खेल न बना पाएं, लेकिन दूसरों का खासतौर पर भाजपा विरोधी गठबंधन एवं अखिलेश यादव का खेल जरूर बिगाड़ देंगे। जिस तरह से शिवपाल की भाजपा से नजदीकियां बढ़ रही हैं उससे लो यह तय है कि लोकसभा चुनाव में शिवपाल भाजपा के लिए मददगार साबित होंगे।
प्रभावी हो सकता है मोर्चा
सपा में भले ही अखिलेश का युवा नेताओं से जुड़ाव है, लेकिन पार्टी में जमीनी पकड़ शिवपाल यादव की भी है। मुलायम सिंह यादव के साथ कंधा से कंधा मिलाकर शिवपाल ने काम किया है। इसी के कारण सभी जिलों में पुराने समाजवादियों के बीच आज भी शिवपाल का इतना प्रभाव है कि वह अपने दम पर भले ही किसी को चुनाव न जीता सकें, लेकिन इतना तो तय है कि सपा के वोटों में सेंध लगा सकते हैं। सेकुलर मोर्चा के साथ ही कुछ और छोटे दल आ गए तो गठबंधन के गणित से भाजपा और मोदी को हराने वालों का सपना टूटने की संभावना और बढ़ जाएगी।
 

 
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