ये भी पढ़ें- सपा से ब्लॉक प्रमुख को मिली करारी हार, मिले मात्र इतने वोट, अखिलेश की थीं करीबी, सपा में मचा हड़कंप अखिलेश के लिए कहा यह- शिवपाल ने अपनी नयी पार्टी के जिलाध्यक्षों और मंडल प्रभारियों की पहली बैठक में उन्होंने समाजवादियों से अपने साथ आने की अपील की, वहीं जिलाध्यक्षों को 30 नवंबर तक बूथों पर पहुंचने के लिए कहा। इस दौरान उन्होंने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ सपा छोड़ने की वजह बताई। उन्होंने कहा कि वह चाहते थे कि पार्टी और परिवार में कोई बिखराव न हो। इसके चलते वे लगातार अपमान और तिरस्कार बर्दाश्त करते रहे। उन्होंने अखिलेश यादव का नाम लिए बगैर कहा कि सारी सीमाएं खत्म हो गईं और सपा का नेतृत्व करने वालों को समाजवाद व पार्टी के मूल सिद्धांतों में भरोसा नहीं रहा। स्वार्थी तत्व हावी हो गए। यह सब देख मजबूरी में बेहद दुखी मन से नया रास्ता चुनने का फैसला किया और पार्टी का गठन किया।
ये भी पढ़ें- इस सपा नेता ने शिवपाल की प्रसपा (लोहिया) का थामा दामन, अखिलेश-मुलायम के लिए कह डाली सबसे हैरान करने वाली बात बीते दिनों शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच खूब शब्द बाण चले व कई मौकों पर दोनों ने एक-दूसरे की मौजूदगी में भी गैरमौजूद रहना ही मुनासिफ समझा। मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव के गृह प्रवेश इसका उदाहरण हैं, जिसमें शिवपाल के आने की खबर से ही अखिलेश वहां से चले गए। हालांकि मुलायम सिंह यादव इन दिनों जरूर धर्म संकट में दिख रहे है। वे बेटे व भाई, दोनों के ही कार्यक्रमों में जाकर संकेत दे रहे हैं कि वे दोनों के ही साथ हैं। हालांकि इस पर कभी उन्होंने स्पष्ट रूप से कोई जवाब नहीं दिया। शिवपाल चाह रहे हैं कि मुलायम सिंह यादव उनकी नई पार्टी के अध्यक्ष बने, लेकिन आखिर में फैसला नेताजी को ही करना है।