चुनाव में रोड़ा बन सकते हैं शिवपाल
शिवपाल के इस बयान के बाद अखिलेश की मुश्किलें बढ़ गई हैं। शिवपाल यादव ने मोर्चे के गठन के बाद ही यह घोषणा कर दी थी लोक सभा चुनाव में उनकी पार्टी 80 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। साथ ही वे अखिलेश यादव, डिंपल और धर्मेंद्र के खिलाफ भी प्रत्याशी उतारेंगे। उन्होंने चुनाव से पहले गठबंधन के भी संकेत दिए। सोमवार को मैनपुरी के करहल में पूर्व विधायक मानिकचंद यादव के आवास पर पत्रकारों ने बात करते हुए उन्होंने कहा कि अब कदम आगे बढ़ा दिया है। अब आगे ही जाएंगे। सपा या परिवार से सुलह कोई प्रस्ताव आता है तो उस पर विचार नहीं होगा। शिवपाल ने बसपा से गठबंधन के भी संकेत दिए। उन्होंने कहा कि बसपा जैसे सभी समान विचारधारा वाली पार्टियों से गठबंधन की कोशिश होगी। जानकारों का मानना है कि अगर ऐसा होता है तो समाजवादी पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
मायावती के रुख ने अखिलेश की बढ़ाई मुश्किलें
अखिलेश यादव भले ही बसपा को अधिक सीटें देने से पीछ नहीं हटने की बात कहकर लचीला रुख अपना रहे हों, लेकिन मायावती बार-बार सम्मानजनक सीटों की बात कहकर अड़ियल रुख अपनाये हैं। अखिलेश कह रहे हैं कि बीजेपी को हराने के लिये वह हर कुर्बानी देने को तैयार हैं, लेकिन मायावती सशर्त ही गठबंधन में शामिल होने बात कह रही हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यूपी में समाजवादी पार्टी किसी भी कीमत पर बसपा से कम नहीं है, लेकिन जिस तरह से अखिलेश यादव हर हाल में गठबंधन की बात कह रहे हैं, राजनीतिक तौर पर उनके लिये ये काफी जोखिम भरा हो सकता है। वक्त से पहले अखिलेश यादव का यूं अपने कदम पीछे खीचना उनकी राजनीतिक अपरिपक्वता का संकेत है। विश्लेषकों का कहना है कि बीजपी को हराने के लिए अखिलेश कुछ ज्यादा ही झुक गए हैं, जिसका फायदा राजनीति की माहिर खिलाड़ी मायावती उठाना चाहती हैं।