मामला है संयुक्त जिला चिकित्सालय भिनगा का। सोमवार दोपहर जब इमरजेंसी में पहुंचे एक मरीज को इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर ने मरीजों को सरकारी पर्चे पर बाहर की दवाएं लिखी और इसे बाहर से लाने को कहा। जिससे मरीज मजबूरन बाहर की दवाएं लेकर अपनी जेब ढीली कर रहा है।
सूबे के स्वास्थ्य मंत्री की हिदायत के बाद भी सरकारी डॉक्टर बाहर की दवाएं लिख रहे हैं। इमरजेंसी में गंभीर हालत में पहुंचने वाले मरीजों का शोषण इस प्रकार किया जा रहा है कि गरीब मरीज कर्ज में डूब जा रहे हैं। वहीं सूत्रों की मानें तो संयुक्त जिला चिकित्सालय में प्रतिदिन हजारों रुपए कीमत की दवाइयां बाहर से लिखी जाती हैं। वहीं मरीजों का कहना है कि काफी दूर से यहां आने के बाद भी पैसा देकर बाहर से ही दवा खरीदना पड़ता है। इससे अच्छा तो इससे कम पैसे में हम झोलाछाप डॉक्टरों के पास इलाज करा लें।
इस संबंध में संयुक्त जिला चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक विजय कुमार का कहना है कि मामला संज्ञान में है, पर किसी के द्वारा अभी लिखित शिकायत नही की गई है। लिखित शिकायत मिलने पर जांच कराकर जिसने भी दवा लिखी है उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।