लखनऊ से केजीएमयू के डॉक्टर संतोष कुमार बताते हैं कि शरीर में कोशिकाएं बनती और नष्ट होती रहती हैं। लेकिन मस्तिष्क में यह प्रक्रिया बाधित हो जाने से ब्रेन ट्यूमर जैसी समस्या होने लगती है। धीरे-धीरे यह गांठ का रूप ले लेती है। इसे नजरअंदाज करना घातक साबित हो सकता है। हमारे मस्तिष्क को आवरण में रकने वाली खोपड़ी कठोर होती है। अगर इसके अंदर किसी असामान्य कोशिकाओं का विकास होने लगे, तो समस्या बढ़ने लगती है, जिस कारण दूसरी कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं।
किसी भी उम्र में हो सकता है ब्रेन ट्यूमर ब्रेन ट्यूमर किसी तय उम्र में नहीं होता। यह किसी भी उम्र में हो सकता है। इसके लक्षण धीरे-धीरे सामने आते हैं। अचानक किसी सुबह तेज सिरदर्द से नींद खुलना, उल्टी होना, घबराहट होना, दौरे पड़ना, सुनने में परेशानी होना जैसी समस्याएं होने लगती हैं। यह दो तरह का होता है। एक है मैलिग्नेंट ट्यूमर और दूसरा बिनाइन ट्यूमर। ट्यूमर चाहे किसी भी प्रकार का हो, यह हर तरीके से घातक ही होता है।
पहचानें दोनों ट्यूमर को मैलिग्नेंट ट्यूमर- यह कैंसरयुक्त ब्रेन ट्यूमर होता है, जिसका इलाज के बाद दोबारा बढ़ने की संभावना कम होती है। यह कोशिकाएं सैंसिटिव होती हैं, जो दिमाग के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में फैलती हैं।
बिनाइन ट्यूमर- यह नॉन कैंसरस ट्यूमर होता है, जो मस्तिष्क के एक हिस्से में बढ़ता है। हालांकि, िस तरह के ट्यूमर को आसानी से हटाया जा सकता है। इन कारणों से हो सकता है ब्रेन ट्यूमर