जांच में वीडियो मिला सही एसआईटी के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार आईएएस अधिकारी का वायरल वीडियो सही पाया गया है। वीडियो में आईएएस अधिकारी ही मौजूद हैं। वायरल वीडियो में जिस तरह की बातें की जा रही हैं वो सेवा नियमावली के विरुद्ध हैं। एसआईटी ने अपनी जांच रिपोर्ट को तैयार करने में 30 से अधिक लोगों के बयान लिए हैं। बयान के आधार पर आरोपी अधिकारी के खिलाफ सबूत जुटाए गए हैं।
बिहार में बनाया धर्मस्थल एसआइटी द्वारा लिए गए बयानों में खुलासा हुआ है कि आइएएस अधिकारी ने बिहार के सिवान में एक धार्मिक स्थल का निर्माण भी कराया है। इस संबंध में कानपुर मंडलायुक्त कार्यालय में तैनात कर्मचारियों ने दस्तावेज उपलब्ध कराते हुए आइएएस अधिकारी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। आरोप हैं कि अपने पद का लाभ उठाते हुए आइएएस ने धार्मिक स्थल का निर्माण कराया। आईएएस अधिकारी इफ्तिखारउद्दीन पर यह भी आरोप लगे हैं कि हथकरघा विभाग के आयुक्त रहते हुए इन्होंने कई संस्थाओं को अनुचित लाभ पहुंचाया है। एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में इन बिन्दुओं को भी शामिल किया है।
लिखी हैं तीन धार्मिक किताबें आईएएस अधिकारी इफ्तिखारउद्दीन ने एसआईटी के सामने स्वीकारा किया है कि उन्होंने तीन किताबें लिखी और छपवाई भी हैं। सेवा नियम के तहत आईएएस अधिकारी को किताबें लिखने से पहले शासन से अनुमति लेनी पड़ती है। एसआईटी ने अपनी जांच रिपोर्ट में 3 किताबों के साहित्य को भी शामिल किया है यह किताबें अपत्तिजनक हैं जो खास धर्म से प्रेरित व धर्मान्तरण को बढ़ावा देने वाली हैं।