विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह ने कहा है कि जब न्यूज पेपर में विज्ञापन ही नहीं निकाला और दरें तक नहीं जारी की गईं तो प्रजेंटेशन दिखाने का क्या मतलब है? आयोग के सख्त रुख को देखते हुए अब माना जा रहा है कि स्लैब परिवर्तन संबंधी प्रस्ताव को विद्युत वियामक आयोग खारिज करेगा। इस तरह बिजली उपभोक्ताओं को राहत मिलती नजर आ रही है। बता दें कि आयोग ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बुधवार को वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए बिजली कंपनियों के स्लैब परिवर्तन के प्रस्ताव पर जनसुनवाई की है।
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मायावती ने मतदान से पहले किया जीत का दावा, बोलीं- सभी धर्म के लोगों का मिला समर्थन प्रेजेंटेशन शुरू होते ही रोका बता दें कि इस जनसुनवाई में नियामक आयोग के चेयरमैन के साथ पावर कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक और निदेशक शामिल हुए। इनके साथ ही विद्युत उपभोक्ता संगठनों के प्रतिनिधि और कई बिजली उपभोक्ता भी शामिल हुए। सबसे पहले बिजली कंपनियों ने एआरआर पर प्रस्तुतीकरण दिया गया। इसके बाद कारपोरेशन ने स्लैब परिवर्तन के प्रस्ताव का प्रेजेंटेशन शुरू किया। जैसे ही प्रेजेंटेशन शुरू हुआ तो चेयरमैन ने सख्त टिप्पणी करते हुए उन्हें रोक दिया।
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फर्जी दस्तावेज पर नौकरी करने वाले बर्खास्त शिक्षकों के खिलाफ सरकार का सख्त एक्शन घटाई जाए बिजली दरें जनसुनवाई के दौरान परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा है कि आयोग ने 10.67 प्रतिशत वितरण हानियां तय की हैं तो कंपनियां का 17.5 प्रतिशत दिखाना अनुचित है। उन्होंने कहा कि कंपनियों पर उपभोक्ताओं के पहले से निकल रहे लगभग 22,045 करोड़ रुपये के स्थान पर बिजली दरें घटाई जाएं। एक साथ नहीं तो 5 वर्षों तक 7 प्रतिशत दर में घटाई जानी चाहिए। इसके साथ ही गांव के घरों में खुली दुकानों की बिजली को घरेलू श्रेणी में रखा जाए। उन्होंने कहा कि एक दशक में गांव की घरेलू और किसानों की बिजली दरों में 300 गुना तक वृद्धि का ब्योरा पेश करते हुए इनकी दरों में तत्काल कमी की जाए। 13 लाख किसानों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि किसानों को बिजली तो मुफ्त करने की बात है।