Smile Walk में शामिल हुए डॉक्टर, टेढ़े-मेढ़े दांतों का इलाज कराने की दी सलाह
प्रोफेसर प्रदीप टंडन ने बताया कि चेहरे की विकृति एक ऐसी विकृति है जिसे छुपाया नहीं जा सकता।

लखनऊ. विश्व ऑर्थोडॉन्टिक स्वास्थ दिवस के अवसर केजीएमयू के दन्त संकाय के में कई कार्यक्रम आयोजित हुए। सुबह स्माइल वाक का आयोजन मुख्य आकर्षण का केंद्र रहा। इसके अलावा विभाग द्वारा पोस्टर प्रेजेंटेशन, स्माइल कांटेस्ट, क्रिएटिव वायर वाइंडिंग एवं पेशेंट अवेयरनेस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में आयोजित स्माइल वाक चिकित्सा विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन से प्रारंभ होकर कलाम सेंटर तक गई। स्माइल वाक का शुभारंभ कुलपति प्रोफेसर मदनलाल ब्रह्म भट्ट द्वारा फ्लैग ऑफ कर के किया गया। इस अवसर पर ऑर्थोडॉन्टिक विभाग के प्रमुख प्रोफेसर प्रदीप टंडन, दंत संकाय विभाग के अधिष्ठाता प्रोफ़ेसर शादाब मोहम्मद, प्रोफेसर नीरज मिश्रा, चिकित्सा अधीक्षक दंत संकाय प्रोफेसर जीके सिंह, डॉक्टर ज्ञान सहित ऑर्थोडॉक्स विभाग के संकाय सदस्य, विद्यार्थी, रेजिडेंट डॉक्टर्स, कर्मचारी एवं अन्य विभागों के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
टेढ़े-मेढ़े दांतों का संभव है इलाज
प्रोफेसर प्रदीप टंडन ने बताया कि चेहरे की विकृति एक ऐसी विकृति है जिसे छुपाया नहीं जा सकता। चेहरे की विकृति में दातों का अहम रोल है। यदि किसी व्यक्ति के दांत टेढे मेढे या बाहर की तरफ निकले हैं तो ऐसे व्यक्ति का चेहरा देखने में अच्छा नहीं लगता और ऐसे व्यक्ति को विभिन्न प्रकार की मानसिक प्रताड़नाओं का सामना भी करना पड़ता है। वह खाना खाने, पीने एवं बोलने में भी असहज महसूस करता है। इस प्रकार टेढ़े-मेढ़े दांतों की समस्या को उचित समय पर चिकित्सक को दिखाया जाए और उसका उपचार कराया जाए तो इस समस्या से मरीज को निजात मिल जाता है किंतु अगर मरीज समय रहते चिकित्सक के पास नहीं आता है तो उसके दांतो को ठीक करना मुमकिन नहीं हो पाता है।
कम उम्र में आसान है इलाज
डॉ ज्ञान ने बताया कि ऑर्थोडॉन्टिक इलाज शुरू करने का सबसे उत्तम समय तब होता है जब बच्चा 7 से 8 वर्ष का होता है। इसी अवस्था में बच्चे को विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए तथा परामर्श लेना चाहिए । इससे हमारा यह तात्पर्य नहीं की इस अवस्था के बाद ऑर्थोडोंटिक्स इलाज संभव नहीं है। आजकल ऑर्थोडॉन्टिक इलाज किसी भी उम्र में संभव है लेकिन अधिक उम्र में कठिनाइयां आती हैं। अधिकांश ऑर्थोडॉन्टिक इलाज दो तरीकों से किया जाता है अस्थाई अप्लायंस द्वारा स्थाई अप्लायंस द्वारा। अस्थाई अप्लायंस को मरीज अपनी सुविधानुसार ब्रश करने के समय, नाश्ता करने के समय या खाना खाने के समय निकाल व लगा सकता है। अस्थाई अप्लायंस से कुछ ही समस्याओं का इलाज संभव है, वह भी मरीज के सहयोग करने पर।
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