अरोप लगाती रही है
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि विरोधियों ने हमारी पार्टी पर भाई-भतीजावाद के आरोप लगाए हैं, इसी कारण से इस बार मेरी पत्नी चुनाव नहीं लड़ेंगी। भाजपा अक्सर सपा पर भाई-भतीजावाद की राजनीति करने का अरोप लगाती रही है। इसी कारण अखिलेश ने इस बार पत्नी को चुनाव न लड़ाने का फैसला किया है।
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि विरोधियों ने हमारी पार्टी पर भाई-भतीजावाद के आरोप लगाए हैं, इसी कारण से इस बार मेरी पत्नी चुनाव नहीं लड़ेंगी। भाजपा अक्सर सपा पर भाई-भतीजावाद की राजनीति करने का अरोप लगाती रही है। इसी कारण अखिलेश ने इस बार पत्नी को चुनाव न लड़ाने का फैसला किया है।
भाजपा और उसके सहयोगी दलों को 73 सीटें मिली थीं
2019 के चुनाव के लिए सभी पार्टियों ने अपनी तैयारी तेज कर दी हैं। सपा और बसपा ने इस बार साथ मिलकर चुनाव लडऩे का एलान किया है। ऐसे में इस बार गबंधन भाजपा को मात देने के लिए हर संभव प्रयासरत है। उप चुनावों में जीत के बाद सपा का मनोबल बढ़ा हुआ है। बतादें कि 2014 के लोकसभा चुनावों में सपा को भाजपा ने तगड़ा झटका दिया था। यूपी की कुल 80 लोकसभा सीटों में से भाजपा और उसके सहयोगी दलों को 73 सीटें, सपा 5, कांग्रेस 2 और बसपा को एक भी सीट नहीं मिली थी।
2019 के चुनाव के लिए सभी पार्टियों ने अपनी तैयारी तेज कर दी हैं। सपा और बसपा ने इस बार साथ मिलकर चुनाव लडऩे का एलान किया है। ऐसे में इस बार गबंधन भाजपा को मात देने के लिए हर संभव प्रयासरत है। उप चुनावों में जीत के बाद सपा का मनोबल बढ़ा हुआ है। बतादें कि 2014 के लोकसभा चुनावों में सपा को भाजपा ने तगड़ा झटका दिया था। यूपी की कुल 80 लोकसभा सीटों में से भाजपा और उसके सहयोगी दलों को 73 सीटें, सपा 5, कांग्रेस 2 और बसपा को एक भी सीट नहीं मिली थी।
इस कारण लिया गठबंधन का फैसला
सूत्रों की मानें तो जिस तरह से चुनाव दर चुनाव भाजपा प्रदेश में अपने जीत का परचम लहरा रही थी उसी को देखते हुए सपा-बसपा ने एक साथ मिलकर भाजपा से लडऩे का फैसला किया और दोनों ने गठबंधन बना कर २०१९ का लोकसभा चुनाव लडऩे का एलान किया है।
सूत्रों की मानें तो जिस तरह से चुनाव दर चुनाव भाजपा प्रदेश में अपने जीत का परचम लहरा रही थी उसी को देखते हुए सपा-बसपा ने एक साथ मिलकर भाजपा से लडऩे का फैसला किया और दोनों ने गठबंधन बना कर २०१९ का लोकसभा चुनाव लडऩे का एलान किया है।
भाई-भतीजावाद पर हमला
बतादें कि सपा सरकार में भाजपा अक्सर भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद का आरोप लगाती रही है। भाजपा ने २०१४ के लोकसभा व २०१७ के यूपी विधानसभा चुनाव में भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद का आरोप लगाते हुई अपनी रैली में इस मुद्दे को प्रमुखा से उठाया था। यही कारण है कि अखिलेश यादव ने भाजपा को करारा जवाद देने के लिए कन्नौज से खुद चुनाव लडऩे का फैसला किया।
बतादें कि सपा सरकार में भाजपा अक्सर भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद का आरोप लगाती रही है। भाजपा ने २०१४ के लोकसभा व २०१७ के यूपी विधानसभा चुनाव में भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद का आरोप लगाते हुई अपनी रैली में इस मुद्दे को प्रमुखा से उठाया था। यही कारण है कि अखिलेश यादव ने भाजपा को करारा जवाद देने के लिए कन्नौज से खुद चुनाव लडऩे का फैसला किया।
गठबंधन भी बना मजबूरी
यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से सपा-बसपा गठबंधन को 35-35 सीटें मिलने की बात हो रही है। वहीं बची दस सीटों में से तीन कांग्रेस, दो या तीन रालोद और बाकी बची सीटों पर अन्य सहयोगी पार्टियों को लड़ाने की रणनीति बन रही है।
यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से सपा-बसपा गठबंधन को 35-35 सीटें मिलने की बात हो रही है। वहीं बची दस सीटों में से तीन कांग्रेस, दो या तीन रालोद और बाकी बची सीटों पर अन्य सहयोगी पार्टियों को लड़ाने की रणनीति बन रही है।