योगी जुटे प्रचार में
नगर निगम चुनाव में इस बार योगी और उनके दोनों डिप्टी सीएम स्टार प्रचारक हैं। दो दशकों में जितने भी निकाय चुनाव हुए उनमें प्रधानमंत्री तक ने बढ़-चढकऱ रुचि दिखाई। पर इस बार ऐसा नहीं है। भाजपा के बड़े नेता गुजरात की ट्रेन और प्लेन में बैठे दिखाई दिए। सीएम सुबह से शाम तक सात-सात जनसभाएं कर रहे हैं। मेयर और सभासद उम्मीदवारों के लिए वोट मांग रहे हैं। पहले चरण और दूसरे चरण के चुनाव के लिए वोट मांगने के बाद शनिवार को योगी का यान पश्चिम उत्तर प्रदेश तीसरे चरण के चुनाव के लिए रवाना हो गया।
नगर निगम चुनाव में इस बार योगी और उनके दोनों डिप्टी सीएम स्टार प्रचारक हैं। दो दशकों में जितने भी निकाय चुनाव हुए उनमें प्रधानमंत्री तक ने बढ़-चढकऱ रुचि दिखाई। पर इस बार ऐसा नहीं है। भाजपा के बड़े नेता गुजरात की ट्रेन और प्लेन में बैठे दिखाई दिए। सीएम सुबह से शाम तक सात-सात जनसभाएं कर रहे हैं। मेयर और सभासद उम्मीदवारों के लिए वोट मांग रहे हैं। पहले चरण और दूसरे चरण के चुनाव के लिए वोट मांगने के बाद शनिवार को योगी का यान पश्चिम उत्तर प्रदेश तीसरे चरण के चुनाव के लिए रवाना हो गया।
क्यों है योगी के लिए यह चुनाव महत्वपूर्ण
पहले सूबे में 12 नगर निगम थे। उनमें से 10 में नगर निगमों में भाजपा का कब्जा था। अब नगर निगमों की संख्या 16 हो गई है। ऐसे में योगी को पिछली बार की तरह कम से कम 80 प्रतिशत नगर निगमों में भाजपा का कब्जा चाहिए ही। अगर इससे एक सीट भी कम होती है तो विपक्ष और भाजपा में उनके अंदरूनी विरोधी जीत हार के आंशिक अंतर को बतंगड़ बनाकर पेश करेंगे। इसलिए यह चुनाव योगी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। पिछली बार सपा के दो मेयर जीते थे। सपा ने चुनावों में अपने स्टार प्रचारक के रूप में सांसद डिंपल यादव को उतारा है। उन्हें भी अपनी सीट बचाने की चुनौती है। बसपा ने किसी बड़े नेता को प्रचार में तो नहीं भेजा। लेकिन उसे भी अपनी इज्जत बचाने की चिंता है।
पहले सूबे में 12 नगर निगम थे। उनमें से 10 में नगर निगमों में भाजपा का कब्जा था। अब नगर निगमों की संख्या 16 हो गई है। ऐसे में योगी को पिछली बार की तरह कम से कम 80 प्रतिशत नगर निगमों में भाजपा का कब्जा चाहिए ही। अगर इससे एक सीट भी कम होती है तो विपक्ष और भाजपा में उनके अंदरूनी विरोधी जीत हार के आंशिक अंतर को बतंगड़ बनाकर पेश करेंगे। इसलिए यह चुनाव योगी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। पिछली बार सपा के दो मेयर जीते थे। सपा ने चुनावों में अपने स्टार प्रचारक के रूप में सांसद डिंपल यादव को उतारा है। उन्हें भी अपनी सीट बचाने की चुनौती है। बसपा ने किसी बड़े नेता को प्रचार में तो नहीं भेजा। लेकिन उसे भी अपनी इज्जत बचाने की चिंता है।
अपने ही बने योगी के लिए चुनौती हालांकि इस चुनाव में योगी के लिए एक बड़ी चुनौती सरकार में शामिल भारतीय समाज पार्टी यानी भासपा है। भासपा के चार विधायक हैं। पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। लेकिन निकाय चुनाव में राजभर ने कई जगह बीजेपी के खिलाफ अपने प्रत्याशी उतारें हैं। सरकार में शामिल अपना दल ने तो अपने प्रत्याशी नहीं उतारे हैं लेकिन उसका अंतर्विरोध भाजपा को कहीं कहीं झेलना पड़ रहा है। इसलिए पार्टी के सामने बड़ा संकट है।
लड़ाई में लाने की जद्दोजहद
2014 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनावों में सपा पहले से कमजोर हुई है। बसपा और कांग्रेस की तो नैया ही डूब गयी। जहां लोकसभा के चुनाव में बसपा का खाता ही नहीं खुला वहीं वह विधानसभा चुनाव में 19 सीटों पर सिमट गई। कमोबेश यही हाल कांग्रेस का भी रहा। लिहाजा विपक्ष के इन दलों के लिए निकाय चुनाव में बड़ी चुनौती है यही है वे अपने को लड़ाई में वापस लाएं।
2014 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनावों में सपा पहले से कमजोर हुई है। बसपा और कांग्रेस की तो नैया ही डूब गयी। जहां लोकसभा के चुनाव में बसपा का खाता ही नहीं खुला वहीं वह विधानसभा चुनाव में 19 सीटों पर सिमट गई। कमोबेश यही हाल कांग्रेस का भी रहा। लिहाजा विपक्ष के इन दलों के लिए निकाय चुनाव में बड़ी चुनौती है यही है वे अपने को लड़ाई में वापस लाएं।