भाजपा नेता राम शंकर कठेरिया ने आगरा में बयान दिया है कि विपक्ष का विधायक रावण है। विधायक को रावण कहने पर हंगामा शुरू ही हुआ था कि सपा के नेता प्रतिपक्ष राम गोविन्द चौधरी ने कुशी नगर में पेट्रोल के दाम पर चुप्पी साधे बैठीं केन्द्रीय विदेश मंत्री को कहा कि वे द्रोपदी हैं। जब कांग्रेस सरकार में दाम बढ़े थे तो वह हंगामा करते घूम रहीं थीं अब चुप हैं।
जब भी जिस नेता को मौका मिला, बदजुबानी में चौके छक्के मारे। यूपी के उप चुनाव के दौरान रालोद नेता जयंत चौधरी ने एक रैली में बोलते हुए कहा था अगर उंगली दिखाओगे तो उंगली तोड़ दी जाएगी। उसी समय भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी का एक बयाान चर्चा में आया था। जिसमें उन्होंने कहा था कांग्रेस के भांड़ अपनी जुबान पर लगाम क्यों नहीं रखते। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर को तब उन्होंने लव गुरू की संज्ञा भी दी थी। इसके बाद खूब बवाला मचा था।
कभी मुलायम सिंह यादव के खास सिपाहसालार रहे बेनी वर्मा ने कहा था कि मुलायम पगला और सठिया गए हैं। तब मुलायम सिंह यादव को यह बात नगवार गुजरी थे लेकिन अपने पुराने सियासी मित्र की बात पर वह शर्मशार तो जरूर हुए थे लेकिन कुछ बोले नहीं थे। किसी ने कहा, अमर सिंह रंगीला-छबीला तो किसी ने कहा,मेंढक सपा के वरिष्ठ नेता आजम खां और अमर सिंह की अदावत पुरानी है। आजम के उस बयान पर खूब हंगामा हुआ था जब उन्होंने कहा था रंगीला-छबीला दलाल है अमर सिंह। उसी समय मनसे के अध्यक्ष राज ठाकरे ने एक बयान में कहा था- क्या अमर सिंह ने कहा कि मैने अमिताभ के घर पर हमला करवाया, चलो हटो, उसकी बात मत करो, मेंढक कहीं का…। कांगे्रस के वरिष्ठ नेता दिग्गविजय सिंह ने यह बयान भी खूब सुर्खियां बटोरा था जब उन्होंने कहा था नचनियों की पार्टी है बीजेपी।
केजीएमयू के मनोचिकित्सक डॉ. एसके तिवारी के मुताबिक अक्सर यह दबाव बनाने की मानसिकता होती है कि दूसरे के बारे में कुछ ऐसा बोल दो कि वह तिलमिला उठे। ऐसा करने से विपक्ष संतुलन खो देगा और उसकी कार्यवाही आपको फायदेमंद हो सकती है। इसे रोकने के लिए संगठन को उन लोगों के खिलाफ कठोर कदम उठाना चाहिए जो बड़ा बोल बोलते हैं।