लखनऊ निवासी ज्योतिषाचार्य दिनेश तिवारी ने बताया कि सोमवती अमावस्या पर सभी महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु के लिए व्रत रखती हैं और पीपल के पेड़ की पूजा करती हैं। जिससे उनके पति की आयु कम न हो और पूरा घर सुख, समृध्दि और धन धान्य से हमेशा भरा रहें। इसी दिन सभी महिलाएं वट सावित्री व्रत भी रखेंगी और पूजा करेंगी। हिन्दू धर्म में सोमवती अमावस्या के दिन वट सावित्री व्रत रखने का विशेष महत्व होता है। सोमवती अमावस्या पर विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से मन की सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं।
जानिए वट में किसका होता है वास
शास्त्रों के अनुसार ज्येष्ठ माह में 3 जून को सर्वार्थसिद्धि का योग बन रहा है। शास्त्रों में कहा गया है कि सावित्री ने अपने पति के जीवन के लिए बरगद के पेड़ के नीचे निर्जल व्रत रखकर तपस्या की थी और वट के वृक्ष ने सावित्री के पति सत्यवान के मृत शरीर को अपनी जटाओं के घेरे में सुरक्षित रखा ताकि जंगली जानवर शरीर को नुकसान नहीं पहुंचा सके। इसलिए तभी से इसे वट सावित्री व्रत कहा जाने लगा। इस दिन वट वृक्ष को जल से सींचकर उसमें हल्दी कुमकुम लगाकर कच्चा सूत लपेटते हुए उसकी 11, 21, 108 बार परिक्रमा की जाती है। साथ ही 11, 21 और 108 की संख्या में ही वस्तुएं भी अर्पित की जाती हैं। उन्होंने बताया कि वटवृक्ष की जड़ों में ब्रह्मा, तने में विष्णु और पत्तों पर शिव का वास होता है। इसलिए सभी विवाहित महिलाओं द्वारा उसका पूजन करना कल्याणकारी होता है।
सभी महिलाएं इस तरहे करें पूजा
सभी महिलाएं सोमवती अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
विवाहित महिलाएं एक स्टील के लोटे में कच्चा दूध जल पुष्प अक्षत और गंगाजल मिलाकर वट वृक्ष पर चढ़ाएं।
नई विवाहित महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए अपने पति के साथ वट वृक्ष के 7 परिक्रमा लगाएं
सोमवती अमावस्या के दिन तुलसी के पौधे के 108 परिक्रमा करें।
सभी विवाहित महिलाएं परिक्रमा करते समय ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें।