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सोमवती अमावस्या पर विधि विधान से रखें वट सावित्री व्रत, पति की लम्बी आयु के साथ होगी हर मन्नत पूरी

locationलखनऊPublished: Jun 02, 2019 04:32:50 pm

Submitted by:

Neeraj Patel

-सोमवती अमावस्या पर वट सावित्री व्रत रखकर पूरे विधि विधान से करें पूजा
-हिन्दू धर्म में सोमवती अमावस्या के दिन वट सावित्री व्रत रखने का होता है विशेष महत्व
-सोमवती अमावस्या पर विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से मन की सारी इच्छाएं होती हैं पूरी

Somvati amavasya vat savitri vrat puja vidhi and mahatva

सोमवती अमावस्या पर विधि विधान से रखें वट सावित्री व्रत, पति की लम्बी आयु के साथ होगी हर मन्नत पूरी

लखनऊ. सोमवती अमावस्या इस माह की 3 तारीख को पड़ रही है और इसी दिन विवाहित महिलाओं द्वारा वट सावित्री व्रत भी रखा जाएगा। शास्त्रों के अनुसार जो अमावस्या सोमवार के दिन पड़ती है। उस ही सोमवती अमावस्या कहते हैं। सोमवती अमावस्या के दिन चन्द्रमा दिखाई नहीं देता है। सोमवार का दिन भगवान शिव का होने के कारण सोमवती अमावस्या पर सभी शिव मन्दिरों में भक्तों की भीड़ रहती है। ज्येष्ठ माह में पड़ने वाली सोमवती अमावस्या पर भगवान शिव की पूजा अर्चना करने का एक अलग ही महत्व होता है।

लखनऊ निवासी ज्योतिषाचार्य दिनेश तिवारी ने बताया कि सोमवती अमावस्या पर सभी महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु के लिए व्रत रखती हैं और पीपल के पेड़ की पूजा करती हैं। जिससे उनके पति की आयु कम न हो और पूरा घर सुख, समृध्दि और धन धान्य से हमेशा भरा रहें। इसी दिन सभी महिलाएं वट सावित्री व्रत भी रखेंगी और पूजा करेंगी। हिन्दू धर्म में सोमवती अमावस्या के दिन वट सावित्री व्रत रखने का विशेष महत्व होता है। सोमवती अमावस्या पर विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से मन की सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं।

जानिए वट में किसका होता है वास

शास्त्रों के अनुसार ज्येष्ठ माह में 3 जून को सर्वार्थसिद्धि का योग बन रहा है। शास्त्रों में कहा गया है कि सावित्री ने अपने पति के जीवन के लिए बरगद के पेड़ के नीचे निर्जल व्रत रखकर तपस्या की थी और वट के वृक्ष ने सावित्री के पति सत्यवान के मृत शरीर को अपनी जटाओं के घेरे में सुरक्षित रखा ताकि जंगली जानवर शरीर को नुकसान नहीं पहुंचा सके। इसलिए तभी से इसे वट सावित्री व्रत कहा जाने लगा। इस दिन वट वृक्ष को जल से सींचकर उसमें हल्दी कुमकुम लगाकर कच्चा सूत लपेटते हुए उसकी 11, 21, 108 बार परिक्रमा की जाती है। साथ ही 11, 21 और 108 की संख्या में ही वस्तुएं भी अर्पित की जाती हैं। उन्होंने बताया कि वटवृक्ष की जड़ों में ब्रह्मा, तने में विष्णु और पत्तों पर शिव का वास होता है। इसलिए सभी विवाहित महिलाओं द्वारा उसका पूजन करना कल्याणकारी होता है।

सभी महिलाएं इस तरहे करें पूजा

सभी महिलाएं सोमवती अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

विवाहित महिलाएं एक स्टील के लोटे में कच्चा दूध जल पुष्प अक्षत और गंगाजल मिलाकर वट वृक्ष पर चढ़ाएं।

नई विवाहित महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए अपने पति के साथ वट वृक्ष के 7 परिक्रमा लगाएं

सोमवती अमावस्या के दिन तुलसी के पौधे के 108 परिक्रमा करें।

सभी विवाहित महिलाएं परिक्रमा करते समय ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें।

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