अगले साल के शुरुआत में ही लोकसभा चुनाव है। सपा साल 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए हिंदू धर्म से संबंध रखने वाले मुख्य धार्मिक स्थानों पर “हवन” और “पूजा” करके कार्यकर्ताओं के लिए अपने ट्रेनिंग कैंपों की शुरुआत करेगी।
सपा के लखीमपुर खीरी जिलाध्यक्ष रामपाल यादव ने कहा कि जाहिर सी बात है कि जब पार्टी के सभी वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता यहां प्रशिक्षण शिविर में शामिल होने आएंगे तो मंदिर में दर्शन और आशीर्वाद लेने जाएंगे। ट्रेनिंग कैंप में नेता शिवपाल सिंह यादव कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे।
सपा नेता ने राजनीतिक मुद्दों, चुनावी रणनीति और बूथ प्रबंधन को जोड़ते हुए कहा, “नजदीक के विधानसभा क्षेत्रों के बूथ अध्यक्षों और सेक्टर प्रभारियों को ट्रेनिंग कैंप में आमंत्रित किया गया है, जो नैमिषारण्य मंदिर परिसर से लगभग 500 मीटर की दूरी पर मौजूद होगा।” ट्रेनिंग कैंप में चुनाव के स्ट्रेटेजी पर चर्चा की जाएगी।
समाजवादी पार्टी के सूत्रों ने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले हिंदू धार्मिक जगहों का दौरा करने के पार्टी नेतृत्व के फैसले को अगले साल की शुरुआत में अयोध्या में राम मंदिर के निर्धारित उद्घाटन के संदर्भ में देखा जाना चाहिए, जिसे भाजपा अपने चुनावी इस्तेमाल के लिए इस्तेमाल करेगी और उसी को काउंटर करने के लिए यूपी के मंदिरों में दौरा कर रही है।
“राज्य में पिछले साल के विधानसभा चुनावों में, सपा को मुस्लिम वोटों का बहुमत मिला था, लेकिन फिर भी वह भाजपा को सत्ता से नहीं हटा सकी।
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में जब सपा और बसपा गठबंधन में चुनाव लड़ रहे थे और पूरे मुस्लिम समुदाय ने गठबंधन को वोट दिया था, तब भी हम 80 में से केवल 15 सीटें ही जीत सके थे। अब, जब अयोध्या में राम मंदिर बन रहा है, तो 2024 में एक मजबूत हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण विपक्ष की जीत की संभावनाओं को चोट पहुंचा सकता है। इसलिए, सपा भाजपा को हराने में मदद करने के लिए केवल अल्पसंख्यक वोटों पर निर्भर नहीं रहना चाहती है।
पार्टी यही सबसे अपील करने की कोशिश करेगी कि समाज के सभी वर्ग पार्टी को वोट दें, ”एक वरिष्ठ सपा नेता ने कहा। 27 मई को द इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक सपा एक नई, समर्पित संगठनात्मक संरचना के साथ एक “हाइब्रिड, जन-आधारित पार्टी” के रूप में विकसित होने की कोशिश कर रही है।
राज्य भर के विभिन्न लोकसभा क्षेत्रों में अपने कार्यकर्ताओं के लिए उनकी विचारधारा पर प्रशिक्षण शिविर आयोजित करना और उन्हें भाजपा का मुकाबला करने के लिए तर्कों से लैस करना इस रणनीति का हिस्सा है।
”पार्टी के एक नेता ने बताया कि“मीडिया द्वारा कुछ राजनीतिक दलों के साथ असममित व्यवहार, राजनीति में धर्म के खुले और खुले तौर पर उपयोग, और संस्थानों के भगवाकरण जैसे विभिन्न कारकों ने सपा जैसी जन-आधारित पार्टी के लिए चुनौती पेश की है।
यूपी के बदले राजनीतिक समीकरण के हिसाब से एक अधिक बैलेंस आर्गेनाईजेशनल स्ट्रक्चर की आवश्यकता है, और सपा इस पर काम कर रही है।