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अखिलेश यादव ने बताया जीत का फॉर्मूला: एक नजर भाजपा पर दूसरी बूथ पर रखकर लड़ेंगे चुनाव

locationलखनऊPublished: Oct 18, 2021 07:48:13 pm

Submitted by:

Dinesh Mishra

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पार्टी की जीत के लिए दो फोर्मूले कार्यकर्ताओं को बातें हैं।

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पत्रिका न्यूज नेटवर्क

लखनऊ. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा राज में महंगाई आसमान छू रही है, किसानों को धोखा मिला, बेरोजगारी से नौजवान परेशान हैं। जनसामान्य उत्पीडऩ का शिकार है। लोग भाजपा से मुक्ति चाहते हैं। उनका भरोसा समाजवादी पार्टी पर है। भाजपा 2022 के चुनावों में कोई साजिश न कर सके इसलिए सबको सतर्क रहकर अपने-अपने काम को निष्ठा से अंजाम देना होगा। एक नजर भाजपा पर और दूसरी नजर बूथ पर रखना है।
अभी तक नहीं खुले धान क्रय केंद्र

भाजपा सरकार ने धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 1940 रूपए तय किया है। पहली बात तो यह कि अभी धान क्रय केन्द्र खुले ही नहीं हैं। पिछली बार भी किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिला था। मजबूरी में तय मूल्य के नीचे मंडी में उसे हजार रूपये और उससे भी कम रूपये में अपनी फसल बेचनी पड़ गई थी। खरीद की प्रक्रिया बहुत धीमी रही है और अधिकारी क्वालिटी के नाम पर खरीद को नजऱअंदाज करते रहे हैं।
बढ़ गए खाद के दाम

किसानों को भाजपा राज में ही सर्वाधिक अपमानित और उपेक्षा का शिकार होना पड़ा है। खाद के दाम बढ़ा दिए गए है। 50 किलोग्राम एनपीके खाद जो 1175 रूपए में मिलती थी अब बढ़ी दरों पर 1440 रूपए में मिलेगी। एनपी उर्वरक खाद में भी 70 रूपए की बढ़ोत्तरी की गई है। डीजल और बिजली पहले से ही महंगी कर दी गई है।
चार साल से नहीं बढ़े गन्ना के दाम

किसानों की बात करने वाली उत्तर प्रदेश सरकार ने 4 साल तक गन्ने के दाम नहीं बढ़ाए। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा के खिलाफ किसानों का भारी गुस्सा देखते हुए और चुनावी फसल काटने के लिए अंतिम चुनाव वर्ष में मुख्यमंत्री जी छद्म सहानुभूति दिखाने लगे हैं। अभी असमय वर्षा और आंधी ने फसलों को बहुत नुकसान पहुंचाया है। भाजपा की मानसिकता तो यह है कि जो किसान आवाज उठाए उसे कुचल दो। लखीमपुर कांड इसका जीता-जागता उदाहरण है। इससे जाहिर है कि भाजपा पूंजी घरानों की ही हित चिंता करती है। इसलिए उसने चीनी मिलों के मालिकों को तो कई रियायतें दी परन्तु किसानों को गन्ने का बकाया मूल्य मिले इसकी व्यवस्था नहीं की। एमएसपी की अनिवार्यता की मांग को भी उसने नहीं माना है।
किसानों को बचाने के लिए भाजपा को हटाना जरूरी

प्रदेश की जनता के समक्ष न केवल संविधान अपितु किसान और देश को बचाने के लिए भाजपा को हटाना ही एक मात्र विकल्प रह गया है। किसानों को तभी न्याय मिलेगा जब भाजपा सत्ता से हटेगी। वैसे भी भाजपा से कोई उम्मीद नहीं करनी चाहिए क्योंकि उसमें जनहित में कोई काम करने की इच्छा शक्ति नहीं है। जागरूक मतदाता ही 2022 में भाजपा की साजिशों का सामना कर उसे परास्त कर सकते हैं।
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