scriptworld breastfeeding week:माँ के दूध की बराबरी डिब्बाबंद दूध से नहीं की जा सकती : डॉ. पियाली | Special on World Breastfeeding Week 1-7 August | Patrika News

world breastfeeding week:माँ के दूध की बराबरी डिब्बाबंद दूध से नहीं की जा सकती : डॉ. पियाली

locationलखनऊPublished: Aug 05, 2021 09:51:34 pm

Submitted by:

Ritesh Singh

(world breastfeeding week)

world breastfeeding week:माँ के दूध की बराबरी डिब्बाबंद दूध से नहीं की जा सकती : डॉ. पियाली

world breastfeeding week:माँ के दूध की बराबरी डिब्बाबंद दूध से नहीं की जा सकती : डॉ. पियाली

लखनऊ,(world breastfeeding week) माँ का दूध बच्चे के लिए अमृत के समान होता है और बच्चे के लिए सर्वोत्तम होता है। आधुनिक विज्ञान व तकनीकि ऐसा कोई भी खाद्य उत्पाद का निर्माण नहीं कर पाया है जो कि माँ के दूध से बेहतर हो। संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान की वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. पियाली भट्टाचार्य का कहना है कि माँ के दूध की बराबरी डिब्बे के दूध से नहीं की जा सकती है। (world breastfeeding week) डिब्बे का दूध पिलाने से बच्चा बीमार हो सकता है । क्योंकि उससे बच्चे को एलर्जी हो सकती है। यह बोतल से पिलाया जाता है जिसके कारण कीटाणु उत्पन्न हो सकते हैं। डिब्बाबंद दूध निप्पल से पिलाने पर बच्चा माँ का दूध नही पीता और वह बीमार और कमज़ोर हो सकता है। यह महंगा भी होता है, जिससे परिवार पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है । (world breastfeeding week) कई लोग खर्च बचाने के लिए दूध घोलते समय अधिक मात्रा में पानी मिला देते हैं जिससे बच्चे को भरपूर खुराक नही मिलती और बच्चा सूखे का शिकार हो सकता है। इसके साथ ही बड़ी – बड़ी कंपनियां और व्यापारी इसे बेचकर मुनाफा कमाते हैं।
(world breastfeeding week) माँ का दूध शिशु की सभी पोषक व मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। माँ का दूध सुपाच्य होता है, उसमें प्रोटीन अधिक घुलनशील रूप में होता है जो कि शिशु के द्वारा आसानी से अवशोषित व पचाया जाता है । इसी प्रकार से वसा व कैल्सियम भी आसानी से अवशोषित हो जाता है। माँ के दूध में उपलब्ध शर्करा – लेक्टोस उर्जा प्रदान करती है। (world breastfeeding week) इसके अतिरिक्त इसका एक भाग आंत में लैक्टिक एसिड में परिवर्तित हो जाता है जो कि वहां पर उपस्थित हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट कर देता है व कैल्शियम व अन्य खनिज पदार्थों के अवशोषण में मदद करता है। माँ के दूध में उपलब्ध विटामिन सी, विटामिन ए व थायमिन की मात्रा माँ द्वारा लिए जा रहे पोषण पर निर्भर करती है । सामान्य परिस्थतियों में माँ के दूध में उचित मात्रा में विटामिन होते हैं।
(world breastfeeding week) डा. पियाली के अनुसार – माँ के दूध के स्थान पर डिब्बा बंद पाउडर बनाने वाली कंपनियों ने विज्ञापन द्वारा अपनी बिक्री बढ़ाने की कोशिश की । इससे स्तनपान और पूरक आहार का महत्व समाज में घटता गया । इसलिए भारत सरकार ने 1992 में Infant Milk Substitute Feeding bottles & Infant Foods( Regulation & Distribution) Act, 1992 पारित किया, जो कि 1 अगस्त 1993 को लागू किया गया। इसमें कई कमियां थीं। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा नेशनल टास्क फ़ोर्स बनायीं जिसने मार्च 2002 में बिल में संशोधन किये और वर्ष 2003 में लागू किया व इसमें बाल आहार को भी शामिल किया गया।
(world breastfeeding week) इस एक्ट में

• दो साल से कम आयु के बच्चों को तैयार किये गए डिब्बा बंद अन्न पदार्थ का विज्ञापन या प्रोत्साहन देने पर पाबन्दी है।
• किसी भी प्रसार माध्यम से माँ के दूध का पर्याय समझाकर डिब्बा बंद पाउडर का प्रचार वर्जित है।
• प्रसव पूर्व देखभाल और शिशु आहार के सम्बन्ध में शैक्षणिक सामग्री विज्ञापन हेतु स्पष्ट दिशा निर्देश जारी किये गए हैं ।
• माँ और स्वास्थ्य सेवक की भेंट, वस्तु या अन्न पदार्थ के मुफ्त नमूने देने को वर्जित किया गया है ।
• शैक्षणिक साहित्य और बाल आहार के डिब्बे को सैंपल या डोनेशन के रूप में देने पर पाबंदी है ।
• बाल आहार के डिब्बों पर बच्चों या माँ के चित्रों का प्रयोग नहीं करना है ।
• स्वास्थ्य संस्था को किसी भी प्रकार का डोनेशन देने के लिए इन कंपनियों पर पाबंदी है । इस प्रकार की सामग्री की बिक्री के लिए कर्मचारियों को कोई भी प्रोत्साहन रुपी रकम पर पाबन्दी लगायी गयी है।
• सभी IMS व Feeding Bottles पर हिंदी, इंग्लिश या स्थानीय भाषा में लिखा होना चाहिए कि “स्तनपान सर्वोत्तम है।
• लेबल्स पर किसी भी महिला, शिशु व ऐसे किसी भी वाक्य का प्रयोग नहीं करना जो कि इस प्रकार के उत्पादों की बिक्री को बढ़ावा देते हों, पोस्टर के द्वारा विज्ञापन पर मनाही है ।
प्रावधान का उल्लंघन करने पर न्यूनतम 6 माह से लेकर अधिकतम 2 साल तक की जेल व न्यूनतम 2000 रुपये से लेकर अधिकतम 5000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है ।
डा. पियाली कहती हैं – माँ के दूध के अलावा कोई भी ऊपरी प्रोडक्ट, डिब्बे का दूध या वस्तु छह माह से नीचे के बच्चों को न दें व 6 माह पर अन्नप्राशन जरूर करें। कोई भी निजी कंपनी से गिफ्ट आदि लेने से बचें । डॉक्टरों से अपील है कि अपने क्लिनिक या चैम्बर के बाहर अन्दर ऐसा कोई भी प्रचार न करें जिससे टॉप फीडिंग से सम्बंधित निजी उत्पादों को प्रोत्साहन मिले ।
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