ये हैं खास बातें खास बात यह है कि कागज से तैयार की जानें वाली बोतल को प्राकृतिक गोंद से चिपकाया जाता है इसमें लगने वाला ढक्कन भी कागज और मिट्टी में घुलने वाले प्राकृतिक तत्व से ही बनता है। बोतल को इस तहर से बनाया गया है कि इसे 9 माह तक इस्तेमाल किया जा सकता है। बोलत के उपयोग बाद पूरी तरह खत्म किया जा सकता है। प्रयोग के बहाद इस बोलत को गमलों में दबा कर खत्म किया जा सकता है। एक प्लास्टिक की बोतल को बनाने में 20 रुपये का खर्च आता है वहीं कागज की बोलत को भी बनाने में 19 रुपये का खर्च आता है। कागज की बोतल की कॉस्ट को कम करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
समीक्षा इस ओर कर रही हैं काम उद्यमी अब बेहतर कागज की बोतल बनाने की ओर काम कर रहे हैं। समीक्षा पानी और जूस के लिए ऐसी बोतल तैयार कर रही हैं जिसमें जूस व पानी को आसानी से रखा जा सके और यह सुविधाजनक हो। खास तरह की इस कागज की बोतलों के निर्माण के बाद उन्होंने बोतल को पेटेंट कराने के लिए आवेदन किया है। तीन खाद्य व पेय पदार्थ निर्माता कंपनियों ने भी कागज की बोतल में रुचि दिखाई है।
ये भी पढ़ें: 131 रुपये महंगा होगा LPG घरेलू सिलेंडर, सस्ता सिलेंडर पाने के लिए भी करें बुकिंग लंबे समय से प्रोजेक्ट पर कर रहीं थी काम नोएडा निवासी समीक्षा हैदराबाद में एमबीए की पढ़ाई के बाद नौकरी के दौरान एक प्रोजेक्ट में प्लास्टिक के विकल्प पर काम कर रही थी। तभी विचार आया कि प्लास्टिक से पहले भी लोग खाने पीने की चीजें रखते के लिए किसी पात्र का प्रयोग करते थे। उन्होंने देखा कि बारिश में पत्तियों और घास पर पानी की बूंदे टिकी रहती हैं यानी उन्हें ऐसा तत्व है कि जो पानी का अवरोध है। सोचा कि क्यों न प्लास्टिक का ऐसा विकल्प तैयार किया जाए जिसमें पानी और जूस रख सके। तब कागज की बोतल बनाने का निर्णय लिया। वर्ष 2018 में कंपनी स्थापित की और 2 वर्ष तक शोध कर बोतल का सैंपल बनाने में सफल हुई। एक रिश्तेदार से संपर्क किया जिनकी फैक्ट्री में शैंपू का कंडीशनर पैक होते थे। फैक्ट्री में अत्याधुनिक मशीन होने से शोध में मदद मिली, इसी दौरान जानकारी हुई कि यूरोप की दो कंपनियां कागज की बोतले बनाती है।