किस्सा 2007 का है, जब एडीएम हुआ करते थे चौरसिया लडक़ी को छेडऩे के आरोपी अफसर हैं जेपी चौरसिया, जोकि वर्तमान में राज्य सरकार के विशेष सचिव हैं और लखनऊ सचिवालय में तैनात हैं। दूसरे अफसर का नाम है संजय कुमार यादव, जोकि मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश प्रशासन एवं प्रबंधक अकादमी में डिप्टी डायरेक्टर हैं। संजय भी लखनऊ में तैनात हैं। लडक़ी को छेडऩे का किस्सा वर्ष 2007 है। उस वक्त चौरसिया फर्रुखाबाद के एडीएम थे और संजय यादव नगर मजिस्ट्रेट। कमालगंज की एक लडक़ी किसी फरियाद को लेकर आए दिन डीएम के दफ्तर पहुंचती थी। डीएम की गैर मौजूदगी में लडक़ी एक दिन एडीएम से मिलने पहुंची तो चौरसिया ने उसका काम हाथों-हाथ करा दिया। चौरसिया ने लडक़ी से आगे भी किसी किस्म की दिक्कत होने पर मिलने को कहा। बड़े अफसर की दरियादिली से लडक़ी तो मुरीद हो चुकी थी। उधर, चौरसिया के दिल में दूसरा ख्याल था।
कमालगंज की लडक़ी ने इज्जत के लिए लड़ी लंबी जंग मुलाकातों के दौर में एक दिन लडक़ी ने मुफलिसी के हालात बयान किए तो चौरसिया ने नौकरी करने का सुझाव दिया। लडक़ी ने कहाकि नौकरी कौन देगा, इस सवाल पर चौरसिया ने घर आकर मिलने का ऑफर दिया। वादा किया कि तमाम लोगों से संपर्क है, जल्द अच्छी नौकरी मिल जाएगी। नौकरी और तनख्वाह की उम्मीद में तयशुदा दिन और समय पर लडक़ी चौरसिया के घर पहुंची तो वह अपने मित्र यानी तत्कालीन नगर मजिस्ट्रेट संजय यादव के साथ शराब गटक रहे थे। आरोप है कि दोनों ने लडक़ी को पास बुलाया और नौकरी के एवज में ‘कुछ’ मांगने लगे। लडक़ी ने इनकार किया तो दोनों ने जबरदस्ती करना शुरू कर दिया। जैसे-तैसे लडक़ी ने खुद को बचाया और पुलिस के पास पहुंची। पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया तो अदालत का दरवाजा खटखटाया। रिपोर्ट तो दर्ज हो गई, लेकिन दोनों अधिकारियों ने छेड़छाड़ के मामले में दाखिल परिवाद को खारिज करने की अर्जी लगाकर मामला लटका दिया।
दस साल बाद खारिज हुई अर्जी, अब चलेगा मुकदमा बहरहाल, मामला दर्ज होने के बाद कोर्ट ने अपना पक्ष रखने के लिए दोनों अफसरों को तलब किया। हाजिर नहीं होने पर गैर जमानती वारंट जारी कर दिए गए। इसके बाद दोनों अफसरों ने आरोपों को फर्जी बताते हुए मुकदमा खारिज करने के लिए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट में प्रार्थना पत्र लगा दिया। दस साल तक मामला अटका रहा। इसके बाद 18 अगस्त 2017 को तत्कालीन सीजेएम ने दोनों अधिकारियों का प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया। ऐसे में दोनों अधिकारियों ने आदेश के खिलाफ जिला जज की कोर्ट में अर्जी को दाखिल कर दिया। यहां से केस ट्रांसफर किए जाने पर मामले की सुनवाई एससीएसटी मामलों की विशेष अदालत में हुई। बीते दिवस विशेष अदालत के न्यायाधीश सैय्यद सरवर हुसैन रिजवी ने मौजूदा समय में विशेष सचिव जेपी चौरसिया और डिप्टी डायरेक्टर संजय यादव की अर्जियों को खारिज करते हुए सीजेएम कोर्ट के फैसले को बहाल रखा है। अब दोनों अधिकारियों के खिलाफ लडक़ी से छेड़छाड़ और धमकी का मुकदमा चलेगा।