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लखनऊ

अध्यक्ष पद के लिए अखाड़ा परिषद में दो फाड़, बैठक से पहले ही 13 में से 7 अखाड़ों ने किया नये अध्यक्ष का एलान

अखाड़ों में अध्यक्ष की कुर्सी के लिए दो फाड़ हो गए हैं। बैरागी और उदासीन अखाड़ों ने सन्यासियों से अलग होकर अपना अध्यक्ष और महामंत्री घोषित किया है। हरिद्वार में श्री पंचायती महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रवींद्रपुरी को अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष घोषित कर दिया गया है। इसके साथ ही बैरागी, निर्मोही और अणी अखाड़े के अध्यक्ष राजेंद्र दास को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का महामंत्री घोषित किया गया है।

लखनऊOct 21, 2021 / 12:06 pm

Vivek Srivastava

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अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत के बाद से ही अध्यक्ष पद को लेकर खींचतान का माहौल बना हुआ था। नये अध्यक्ष के चुनाव को लेकर 25 अक्तूबर को प्रयागराज में बैठक भी प्रस्तावित थी। लेकिन उससे पहले ही बैरागी और उदासीन अखाड़ों ने अखाड़ा परिषद का नया अध्यक्ष घोषित कर दिया गया।
जानकारी के मुताबिक कनखल स्थित महानिर्वाणी अखाड़े में अखाड़ा परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष देवेंद्र सिंह शास्त्री की अध्यक्षता में बैठक हुई, जिसमें आनन फानन में अखाड़ों की बैठक के बाद नए अध्यक्ष और महामंत्री के लिए नामों की घोषणा करते हुए रवींद्र पुरी को जिम्मेदारी दे दी गई। इसी के साथ ही बैरागी, निर्मोही और अणी अखाड़े के अध्यक्ष राजेंद्र दास को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का महामंत्री घोषित किया गया। बड़ा उदासीन अखाड़ा के महंत दामोदरदास को उपाध्यक्ष, महंत जसविंदर सिंह शास्त्री को कोषाध्यक्ष, महंत राम किशोर दास को मंत्री, महंत गौरी शंकर दास को प्रवक्ता, महंत धर्मदास व महेंद्र महेश्वर दास को संरक्षक घोषित किया गया है।
यह परिषद के भीतर मतभेद माना जा रहा है क्योंकि चार दिन बाद ही प्रयागराज में 13 अखाड़ों की बैठक होनी थी। अखाड़ों की ओर से नये अध्यक्ष के चयन का लगातार दबाव बन रहा था। सभी 13 अखाड़ों के श्रीमहंत, महामंडलेश्वर और खालसों में अध्यक्ष पद के लिए होड़ मची है। कई अखाड़े पूरी कार्यकारिणी का नए सिर से चुनाव करने की वकालत कर रहे हैं, जबकि मौजूदा कार्यकारिणी का चयन इसी साल हुआ है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी की मौत के बाद नए अखाड़ा अध्यक्ष को लेकर खींचतान चल रही है।
प्रयागराज की बैठक का अब कोई औचित्य नहीं – महंत रविंद्र पुरी

नये अध्यक्ष बने महंत रविंद्र पुरी ने कहा कि चयनित कार्यकारिणी ही अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की कार्यकारिणी है और इसके चयन के बाद प्रयागराज में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की होने वाली बैठक का कोई औचित्य नहीं रह गया है। उन्होंने यह भी कहा कि नयी कार्यकारिणी सभी अखाड़ों में एकता का प्रयास करेगी और जल्द ही इस संदर्भ में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की बड़ी बैठक हरिद्वार में बुलाई जाएगी।
नयी कार्यकारिणी में बैरागी अखाड़े भी शामिल

हरिद्वार में कुंभ मेला 2021 के दौरान बैरागी अखाड़ों ने अपनी उपेक्षा से नाराज होकर अखाड़ा परिषद से अलग हो गए थे। बैरागी अखाड़ों की मांग थी कि नियमानुसार अध्यक्ष और महामंत्री पद में एक पद सन्यासियों और दूसरा महामंत्री को मिलता है, लेकिन तत्कालीन कार्यकारिणी में बैरागी संतों को प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया था।
अध्यक्ष का पद होता है खास

देश में प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में कुंभ मेले का आयोजन होता है। कुंभ मेले में सरकार की ओर से साधु संतों और अखाड़ों को कई सुविधाएं दी जाती हैं। इन सुविधाओं को साधु-संतों तक पहुंचाने और संतों और सरकार के बीच समन्वय बनाने में अखाड़ा परिषद की महत्वपूर्ण भूमिका होती है इसलिए अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष पद को महत्वपूर्ण माना जाता है।

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