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सैकड़ों खिलाड़ी,करोड़ों का बजट फिर भी इंटरनेशल लेवल पर नाम नहीं

locationलखनऊPublished: Aug 31, 2018 06:57:06 pm

Submitted by:

Prashant Srivastava

सैकड़ों खिलाड़ी,करोड़ों का बजट फिर भी इंटरनेशल लेवल पर नाम नहीं

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सैकड़ों खिलाड़ी,करोड़ों का बजट फिर भी इंटरनेशल लेवल पर नाम नहीं

लखनऊ. इंडोनेशिया में चल रहे है एशियन गेम्स में इस बार तीन दर्जन से ज्यादा यूपी के खिलाड़ी पहुंचे है। सौरभ चौधरी, सुधा सिंह समेत कई खिलाड़ियों ने मेडल जीतकर प्रदेश का नाम भी रोशन किया लेकिन इनमें वो खिलाड़ी गायब रहे जिन्हें खेल विभाग की तमाम स्कीमों के तहत प्रशिक्षण दिया जा रहा है। एक हिंदी अखबार की मानें तो पूरे प्रदेश में 16 खेलों में 890 खिलाड़ियों को ये प्रशिक्षण मिल रहा है इसके बावजूद कोई अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कमाल नहीं दिखा पा रहा है। खेल विभाग की देखरेख में हॉकी, तैराकी, वॉलीबाल, जिम्नास्टिक, एथलेटिक्स, क्रिकेट, फुटबाल, बैडमिंटन, टेबल टेनिस, बास्केटबाल, कबड्डी, कुश्ती, बॉक्सिंग, हैंडबाल, जूडो और तीरंदाजी के हॉस्टल संचालित किए जाते हैं। एक हॉस्टल में दस से लेकर 30 खिलाड़ी मौजूद हैं। खेल विभाग का 5.50 करोड़ का बजट इन पर खर्च होता है।

16 खेलों का होता है संचालन

सवाल ये उठ रहा है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यहां से खिलाड़ी क्यों नहीं पहुंच रहे। मिली जानकारी के मुताबिक, यूपी खेल विभाग की देखरेख में 16 खेलों का संचालन किया जाता है। इन खेलों में प्रोफेशनल ट्रेनिंग देने के लिए खेल विभाग की देखरेख में 44 हॉस्टल संचालित किए जाते हैं। इनमें 32 हॉस्टल ब्वॉयज के तो 12 हॉस्टल ग‌र्ल्स के हैं. इनमें 670 ब्वॉयज और 220 ग‌र्ल्स शामिल हैं। इन खिलाडि़यों को हॉस्टल में रहने के साथ ही खेल की ट्रेनिंग की व्यवस्था और उसके उपकरण नि:शुल्क दिए जाते हैं। इन खिलाडि़यों की पढ़ाई की व्यवस्था भी सरकारी स्कूलों में फ्री की जाती है लेकिन यहां के खिलाड़ी नेशनल लेवल तक पहुंच रहे हैं, लेकिन इससे आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं।
पुराने तरीके से हो रही ट्रेनिंग

खेल विभाग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि प्रशिक्षकों को ना तो नए कोर्सेज के बारे में पता होता है और ना ही ट्रेनिंग के लिए हाइटेक होते शेड्यूल के बारे में जानकारी होती ह।. वहीं हॉस्टल में रहने वाले खिलाडि़यों के सेलेक्शन पर भी लगातार सवाल उठते रहे हैं। सिर्फ इतना ही नहीं खिलाडि़यों को ट्रेनिंग देने के लिए बने सेंटर आधे-अधूरे हैं। कार्यकारी निदेशक अनिल बनौधा का कहना है कि खिलाडि़यों को एडवांस ट्रेनिंग दिए जाने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। राजधानी के खिलाड़ी इंटरनेशनल लेवल पर प्रदर्शन भी कर रहे हैं. हमारे यहां एडहॉक कोचिंग कैम्प में भी बहुत से खिलाड़ी प्रैक्टिस करते हैं. उनका रिकार्ड तभी तक रहता है जब तक वे प्रैक्टिस करते हैं।
स्टेडियम बन रहे, कोच-खिलाड़ी नहीं


इसमें कोई शक नहीं कि सरकार की ओर से स्टेडिटम निर्माण कार्यो पर काफी ध्यान दिया रहा है। हर शहर में खिलाड़ी भले ना हो, लेकिन स्टेडियम बनाए जाने पर जोर दिया जा रहा है। राजधानी में ही चार स्टेडियम है, लेकिन इनकी हालत बहुत खराब है। केडी सिंह बाबू स्टेडियम हो या चौक स्टेडियम रखरखाव के अभाव में दम तोड़ रहे हैं। वहीं गोमती नगर मिनी स्टेडियम और पद्मश्री मो. शाहिद स्टेडियम में प्रशिक्षकों का अभाव है।

इतने खिलाड़ी ले रहे ट्रैनिंग फिर भी नतीजा नहीं

-16 खेलों का प्रशिक्षण दिया जा रहा

-44 खेल हॉस्टल्स है पूरे प्रदेश में

-32 ब्वायज हॉस्टल्स,12 ग‌र्ल्स हॉस्टल्स

-890 खिलाड़ी रह रहे हॉस्टल में 670 ब्वायज प्लेयर्स की संख्या
-220 ग‌र्ल्स प्लेयर्स ले रही हैं ट्रेनिंग

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