अपर मुख्य सचिव के अनुसार जैव उत्पादों के उत्पादन एवं अभिजनक बीज उत्पादन के लिए गन्ना शोध परिषद, सेवरही एवं गन्ना शोध परिषद, मुजफ्फरनगर केन्द्र पर भी जैव उत्पाद, ट्राइकोडर्मा, वाबेरिया, बैसियाना, मेटाराइजियम एनीसोपली, आर्गेनोडीकम्पोजर के साथ-साथ ट्राइकोकार्ड, एजोटोबैक्टर एवं पीएसबी का उत्पादन किया जाएगा। इससे बीज संवर्द्धन की नवीन तकनीक और टिश्यू कल्चर से तीव्र गति से बीजों का संवर्धन किया जा सकेगा। इससे अधिक से अधिक किसानों को बीज उपलब्ध हो सकेंगे । इसके अलावा उन्होंने वैज्ञानिकों से किसान हित से जुड़े शोधों को बढ़ावा देने के निर्देश भी दिए। इससे किसानों की लागत कम करके उपज में वृद्धि की जा सकेगी।
प्रदेश सरकार ने साढ़े चार सालों में किसानों की आय दोगुनी करने के साथ उनको तकनीक से जोड़ने का काम किया है। सरकार ने कम समय में गन्ना किसानों को सबसे अधिक 1.44 लाख करोड़ रुपए का भुगतान कर उनको राहत पहुंचाने का काम किया है। प्रदेश की 27 मंडियों को आधुनिक किसान मंडी के रूप में डेवलप किया जा रहा है। किसानों को तकनीक से जोड़ने के लिए 69 कृषि विज्ञान केन्द्रों के अलावा 20 अन्य कृषि विज्ञान केन्द्र निर्मित कराए जा रहे हैं। जहां पर किसानों की आय बढ़ाने के लिए नई तकनीकों पर शोध किया जा रहा है।