इलाहाबाद हाईकोर्ट भर्ती परीक्षा में सेंध लगाने की तैयारी
एसएसपी एसटीएफ अभिषेक सिंह के मुताबिक आरोपियों की पहचान मनीष मिश्रा गिरोह का सरगना, सुनील कुमार उपाध्याय, कृष्णकांत दुबे और राजकुमार यादव के रूप में हुई है। उन्होंने बताया कि एसटीएफ को इलाहाबाद व उसके आसपास के जनपदों में ऑनलाइन धोखाधड़ी करके नौकरी दिलाने के नाम पर लोगों से अवैध वसूली करने वाले हाईटेक गिरोह के सक्रिय होने की सूचनाएं मिली थी। इसी क्रम में एसटीएफ की टीम को 10 नवंबर को एक मुखबिर से पता चला कि कुछ लोग उच्च न्यायालय इलाहाबाद कि ग्रुप सी व डी की 12 नवंबर को होने वाली परीक्षा में अनुचित साधनों, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की सहायता से प्रश्न पत्र हल कराने के उद्देश्य से मेरी लूकस स्कूल के सामने खाली पड़े मैदान में एकत्रित होने वाले हैं, साथ ही परीक्षार्थियों से पैसे का लेनदेन भी करने वाले हैं। इसके बाद टीम ने उस स्थान पर पहुंचकर घेराबंदी कर मेरी लुकस स्कूल के मैदान से चारों को पकड़ लिया।
दो से तीन लाख रूपये में हुई थी डीलिंग
पूछताछ के दौरान आरोपियों ने बताया कि उच्च न्यायालय इलाहाबाद कि ग्रुप सी व डी की 12 नवंबर को होने वाली परीक्षा में अभ्यर्थियों से दो लाख से तीन लाख रूपये लेकर परीक्षा उत्तीर्ण करने की योजना बनाई थी। योजना के अनुसार प्रश्न पत्र को परीक्षा प्रारंभ होने से पहले ही प्राप्त कर अभ्यर्थियों को मास्टरकार्ड या स्टीकर, सिम लगी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और कान में फिट होने वाली ब्लूटूथ डिवाइस देकर परीक्षा में बैठाने वाले थे। इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस मोबाइल फोन की तरह कार्य करती जो कि अभ्यार्थी अपनी पैंट में छुपा कर रखता। इसके माध्यम से प्रश्न पत्र प्राप्त करके उसके उत्तर स्वयं व सॉलवर के माध्यम से पहले ही तैयार कर मोबाइल फोन से अपने अभ्यर्थियों को डिवाइस ब्लूटूथ के माध्यम से बताने वाले थे।
खरीदे गए थे कई नए सिम
आरोपियों ने बताया कि उन्होंने फर्जी आईडी तैयार करके कई सिम कार्ड खरीदे थे। वहीं उनका प्लान था कि अगर किसी वजह से योजना में असफल भी हो जाते हैं तो वह अभ्यर्थियों का पैसा वापस नहीं करेंगे।
दस साल से इस धंधे में है मास्टर माइंड
गिरोह के मास्टरमाइंड मनीष मिश्रा ने बताया कि वह पिछले 10 सालों से विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल कराकर पास कराने का अवैध धंधा कर रहा है। उसके साथ इस कार्य में कई लोग जुड़े हुए हैं, जिसका कार्य बटा हुआ है।
दिल्ली से मंगाए उपकरण
मास्टरमाइंड मनीष मिश्रा ने खुलासा किया कि उसने भदोही निवासी गणेश मौर्या के संपर्क में आकर डिवाइस के माध्यम से नकल कराने का कार्य प्रारंभ किया। 12 नवंबर को उच्च न्यायालय इलाहाबाद की परीक्षा में नकल कराने के उद्देश्य से दिल्ली से इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस. ब्लूटूथ डिवाइस व अन्य उपकरण मंगाए थे। इसमें उसका सहयोग कृष्णकांत दुबे और सुनील कुमार उपाध्याय कर रहे थे। राजकुमार यादव डिवाइस गणेश मौर्या को देते जिसके माध्यम से वाराणसी के भी परीक्षा केंद्रों पर नकल कराने की योजना थी।
एक दिन पहले अभ्यर्थियों को बुलाया
गिरोह ने पूरी प्लानिंग के तहत परीक्षा से 1 दिन पहले 11 नवंबर को सभी अभ्यर्थियों को इलाहाबाद बुलाया था। इलाहाबाद आने पर सभी को इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस उपलब्ध कराई जाती और गिरोह के सदस्य अमित मिश्रा, आशुतोष, सरदार, रवि, आदर्श नायर एक घर में बैठकर प्रश्न पत्र हल उपकरणों के माध्यम अभ्यर्थियों को बताते।
वॉट्सऐप पर मौजूद प्रवेश पत्र
मनीष, सुनील उपाध्याय, कृष्णकांत दुबे और राजकुमार के वॉट्सऐप (WhatsApp) पर एसटीएफ को कई अभ्यार्थियों के हाईकोर्ट की परीक्षा संबंधी प्रवेश पत्र मौजूद मिले। वहीं पता चला कि कुछ लोगों के प्रवेश पत्र, डॉक्यूमेंट और पैसा 11 नवंबर को भी आना था।
टीईटी परीक्षा में धंधली की थी तैयारी
एसटीएफ के मुताबिक यह गिरोह उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता (टीईटी TET) परीक्षा 2017 में भी धंधली करने की तैयारी में था। इसके लिए कई अभ्यर्थियों से बातचीत चल रही थी, जिनसे डेढ़ लाख रुपये में सौदा भी तय कर लिया गया था।