Corona Virus की वजह से मिला अपनों का प्यार जाने उन परिवारों से उनका हाल
मष्तिष्क में सकारात्मक विचार लायें,अफवाहों से दूर रहें। बस हमे सावधानी बरतने की ज़रुरत है।

लखनऊ, चारबाग की रहने वाली स्मिता प्राइवेट ऑफिस में काम करती हैं। Corona के कारण वह अब घर से काम कर रही हैं। वह कहती हैं कि पहले उनकी बेटी का समय पढ़ाई के अलावा मोबाईल व टीवी देखने में बीतता था लेकिन अब वह घर पर तम्बोला, लूडो, कैरम खेलती है व अपने पिता के साथ पतंग उड़ाती है क्यूंकि उनके ऑफिस में भी छुट्टी हो गयी है वह घर पर ही हैं। पहले तो ऐसा कम ही समय मिलता था। साथ ही में उसकी शैतानियां भी बढ़ी हैं। प्राइवेट ऑफिस में काम करने वाली रजनी ने बताया कि आजकल बच्चों का परिवार के सदस्यों के साथ इंटरेक्शन बढ़ गया है लेकिन बच्चों की शैतानियाँ बढ़ गयी हैं।
Corona को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने महामारी घोषित कर दिया है। पूरे देश में इसका असर दिखाई दे रहा है। यह अपनी दूसरी अवस्था में है। यह और ना फैले इसके लिए सरकार ने स्कूल, कॉलेज, मंदिर , मॉल, सिनेमा हाल, पर्यटक स्थल बंद कर दिए हैं। बच्चे घर पर कैद हो गए हैं। कर्मचारी घर से ही कम कर रहे हैं। ऐसा लगता है कि जिंदगी थम सी गयी है। सरकार ने “सोशल डिस्टेंस” के लिए कहा है अर्थात एक साथ ज्यादा से ज्यादा लोग एकत्रित न हों। बड़े आयोजन के लिए मना कर दिया गया है। हम काफी हद तक घर में सीमित होकर रह गए है लेकिन हमें इसके सकारात्मक पहलू को देखना चाहिए। यह कहना है राज्य नोडल अधिकारी, मानसिक स्वास्थ्य डा. सुनील पाण्डेय का।, उन्होने कहा कि यह तो सही है कि हम अपने घर के ही रह गए हैं बाहर की गतिविधियाँ सीमित हो गयी हैं लेकिन हम इसके नकारात्मक पक्ष को देखने के बजाय सकारात्मक पक्ष को देखें।
हमारे दैनिक जीवन में भी परिवर्तन आ गया है। बच्चे घर तक ही सीमत हो गए हैं। सरकार ने बच्चों के मानसिक दबाव को ध्यान में रखते हुए बेसिक शिक्षा परिषद के कक्षा 1-8 तक के बच्चों को सीधे अगली कक्षा में प्रोन्नत कर दिया है। इसके साथ ही हमारी दैनिक जीवन में भी परिवर्तन आ रहा है। जहां बच्चे पहले , स्कूल कोचिंग से समय बचने पर मोबाइल में व्यस्त रहते थे वहीँ अब लूडो, कैरम , सांप-सीढ़ी जैसे खेल खेल रहे हैं अपने भाई-बहनों के साथ समय व्यतीत कर रहे हैं। ऐसे में अब बच्चों के पास पढ़ाई के साथ अपनी हॉबीज़ को भी पूरा करने का व्यापक समय हैं वह अपनी होबीस पर भी ध्यान दे सकते हैं। बच्चों के पास समय है कि वह अपने कोर्स के साथ-साथ अन्य ज्ञानवर्धक किताबें पढ़ें जो रीडिंग हेबिट्स को विकसित करेगा। बच्चे अपना ज्यादा समय अपने परिवार के सदस्यों के साथ व्यतीत कर रहे हैं। बच्चे अपना ज्यादा समय अपने अभिभावकों के साथ बिता रहे हैं।
बार-बार हाथ धोने से बच्चों को क्या बड़ों में भी पर्सनल हाइजिन की आदत विकसित हो रही है। टीनेजर्स जिनका पढ़ाई के अलावा खाली समय मॉल व सिनेमा हॉल में बीतता था वह अब घर पर ही रहकर अपने परिवार के सदस्यों के साथ समय व्यतीत कर रहे हैं। अपनी हॉबीज़ पूरी कर रहे हैं। शहर में प्रदूषण कम हो गया है। डा. पांडे ने बताया कि हमारे खाने की आदतों में भी इस दौरान परिवर्तन आ रहा है। जहां हम जंक व फ़ास्ट फ़ूड को बहुत चाव से खाते थे अब उसकी जगह पौष्टिक खाद्य पदार्थों ने ली है। होटल रेस्ट्रां बंद होने से हम घर के बने शुद्ध व सेहतमंद ताजे खाने का सेवन कर रहे हैं। डा. पांडे ने बताया हम नाहक ही कोरोना को लेकर मानसिक दबाव ना बनाएँ। मष्तिष्क में सकारात्मक विचार लायें,अफवाहों से दूर रहें। बस हमे सावधानी बरतने की ज़रुरत है।
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