शिक्षक भर्ती मामले पर अभ्यर्थियों का कहना है कि वह मुख्यमंत्री योगी से मिलकर आश्वासन चाहते हैं कि 12 सितंबर को होने वाली सुनवाई में सरकारी वकील मौजूद रहे। उन्होंने मामले को जल्द से जल्द निस्तारित करने की भी गुजारिश की है। दरअसल, बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में 69 हजार शिक्षकों की भर्ती के लिए छह जनवरी को लिखित परीक्षा हुई थी। जिसके लिए करीब साढ़े चार लाख अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी।
60 फीसदी अंक की अनिवार्यता पर जताई आपत्ति
परीक्षा के बाद सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए 65 फीसदी तो आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए 60 फीसदी अंक लाना अनिवार्य किया गया। इस पर कुछ अभ्यर्थियों ने कड़ी आपत्ति जताई और हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में चुनौती भी दी। याचियों का कहना है कि 68500 शिक्षक भर्ती में जिस तरह सामान्य व ओबीसी वर्ग के लिए 45 व एससीएसटी वर्ग के लिए 40 प्रतिशत अंक तय किए गए थे। वैसा ही कटऑफ इस भर्ती में भी अपनाया जाए। जबकि, शासन का तर्क है कि 68500 शिक्षक भर्ती में सिर्फ एक लाख आवेदक थे जबकि 69000 शिक्षक भर्ती में साढ़े चार लाख अभ्यर्थी हैं इसलिए कट ऑफ तो बढ़ेगी ही। हालांकि, मामले पर पक्ष रखने के लिए शासन के वकील कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए।