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घुटने में था ट्यूमर इसलिए नहीं चल पा रहा था मरीज, तीन घंटे के अॉपरेशन में डॉक्टरों ने किया कमाल

locationलखनऊPublished: Sep 09, 2018 02:00:13 pm

Submitted by:

Ruchi Sharma

6 इंच के घुटने के अन्दर के हेमेन्ज्योमा ट्यूमर का सफल इलाज

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घुटने में था ट्यूमर इसलिए नहीं चल पा रहा था मरीज, तीन घंटे के अॉपरेशन में डॉक्टरों ने किया कमाल

लखनऊ. ट्यूमर किसी की जिंदगी को किस तरह से बर्बाद कर सकता है इसकी एक मिसाल हैं 80 वर्षीय का हरदोई निवासी इरशाद अहमद। इरशाद के घुटने के अंदर में लंबे समय से हेमेन्ज्योमा ट्यूमर था। जिसकी वजह से वह आठ सालों से चल नहीं पा रहा था। हेमेन्ज्योमा ट्यमर की वजह से इरशाद ने दोबारा से सामान्य जिंदगी जीने का हौसला खो सा दिया था लेकिन इससे पहले की वह पूरी तरह से निराश होता उसे एक नई जिंदगी मिल गई। आथ्रोपेडिक अस्पताल रेडियस ज्वाइंट सर्जरी हॉस्पिटल ने इरशाद अहमद को साढ़े तीन घंटे की सर्जरी द्वारा घुटने के अन्दर हेमेन्ज्योमा ट्यूमर से निजात दिलाया। रेडियस ज्वाइंट सर्जरी हास्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर संजय श्रीवास्तव के साथ डाॅक्टर मनीष पांडे व डाॅक्टर प्रतीक ने इस सर्जरी को सफल बनाया।
कई अस्पतालों में चला इलाज

रेडियस ज्वाइंट सर्जरी हास्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट डाॅक्टर संजय श्रीवास्तव ने बताया कि मरीज को करीब आठ वर्ष से दायें पैर के घुटने सूजन के साथ दर्द की समस्या थी साथ ही घुटने की त्वचा काली भी पड़ती जा रही थी। मरीज इसके इलाज के लिये काफी समय से प्रयासरत था। किन्तु उसे कहीं से त्वरित इलाज नहीं मिला। प्रारम्भ में मरीज़ को यूपी में कई अस्पतालों में भर्ती किया गया। उसके बाद दिल्ली रेफ़र कर दिया गया था। दिल्ली के एक अस्पताल में एंजियोग्राफ़ी द्वारा जांच कराने के बाद टीबिया बोन का हेमेन्ज्योमा की जानकारी मिली। चूँकि ट्यूमर पैर की मुख्य ख़ून की नस में व बोन में था जिसके इलाज के लिये बहुत ही जटिल व बड़ी सर्जरी की आवश्यकता थी। जिसमें कॉम्प्लिकेशन की सम्भावना थी और मरीज़ की जान और पैर के कटने का ख़तरा भी था। सर्जरी के दौरान खून की नसों को बचाना भी चुनौती था। साथ ही इस सर्जरी का खर्च लगभाग छः से आठ लाख रुपये था।
साढ़े तीन घंटे से अधिक चली सर्जरी

मरीज ने जब रेडियस ज्वाइंट सर्जरी हॉस्पिटल से सम्पर्क किया तो जांच से पता चला कि टीबिया बोन का हेमेन्ज्योमा बढ़कर 6 इंच के ट्यूमर में तब्दील हो चुकी थी। रेडियस ज्वाइंट सर्जरी हॉस्पिटल में ट्यूमर को सफलता पूर्वक निकाल दिया गया। इसके इलाज के लियेे हेमेन्ज्योमा ट्यूमर सर्जरी के पश्चात हड्डी को बोन सिमेंट से भर दिया गया तथा एलसीपी प्लेट से मज़बूती दे सर्जरी को पूरा किया गया। ये सर्जरी साढ़े तीन घंटे से अधिक चली जिसके बाद जो मरीज़ 8 साल से चला नहीं था, ऑपरेशन के चौथे दिन से सहारे से चलने लगा।
जानिए, क्या है हेमेन्ज्योमा ट्यूमर

डाॅक्टर संजय श्रीवास्तव ने हेमेन्ज्योमा ट्यूमर के बारे में जानकारी देते हुये बताया कि ये रक्त वाहिकाओं की वृद्धि के कारण से होता हैं। एक प्रकार से ये टीबिया के आगे का चरण है। इसका पता एमआरआई द्वारा लगता है। ये किसी भी उम्र में हो सकता है। इसके लक्षण इसके शरीर के ग्रसित हिस्से पर निर्भर करते हैं। ज्वाइंटस में होने पर त्वचा का कालापन, सूजन व दर्द इसके मुख्य लक्षण हैं।
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