दो सदस्यों ने किया विरोध सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की बैठक में छह सदस्य मौजूद रहे जबकि यह मीटिंग आठ सदस्यों की रखी गई थी। दो सदस्य इमरान माबूद खान और अब्दुल रज़्ज़ाक सरकार द्वारा दी गई जमीन को स्वीकारने के विरोध में मीटिंग से बाहर चले गए। उनका कहना है मस्जिद का निर्माण अयोध्या के अंदर ही होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या के अंदर ही जमीन देने की बात कही थी। इसलिए मस्जिद का निर्माण भी अयोध्या के अंदर ही होना चाहिए। अब्दुल रज़्ज़ाक ने कहा है कि शरीयत मस्जिद की जमीन के बदले जमीन लेने की इजाजत नहीं देता। इस लिए हमें जमीन नहीं लेनी चाहिए। इसी तरह मीटिंग के दूसरे सदस्य इमरान माबूद खान ने भी बैठक का बायकॉट किया। हालांकि बाकी के सारे छह सदस्य चेयरमैन के साथ थे, जिसकी वजह से जमीन लेने के फैसले को बहुमत से पास कर दिया। मीटिंग में शेष बाकी बचे सदस्यों ने मस्जिद के लिए रौनाही में जमीन लेने को स्वीकृति दे दी।
इंडो इस्लामिक सभ्यता को प्रदर्शित करेगा ट्रस्ट बोर्ड मीटिंग के बाद सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जफर फारूकी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में राज्य सरकार ने रौनाही में पांच एकड़ भूमि मस्जिद निर्माण के लिए दी है। बैठक में भूमि को स्वीकार किए जाने का लिया गया। उन्होंने कहा कि बोर्ड पांच एकड़ भूमि के लिए एक ट्रस्ट गठित करेगा। दी गई भूमि पर एक मस्जिद के साथ, ऐसा केंद्र स्थापित करेगा जो सदियों तक इंडो-इस्लामिक सभ्यता को प्रदर्शित करेगा। पांच एकड़ भूमि पर एक चैरिटेबल अस्पताल और पब्लिक लाइब्रेरी का भी गठन किया जाएगा। समाज के प्रति वर्ग की उपयोगिता की अन्य सुविधाओं की भी व्यवस्था की जाएगी। इसके साथ ही ट्रस्ट और उसके पदाधिकारियों से संबंधित संपूर्ण विवरण की घोषणा प्रस्तावित ट्रस्ट के गठन के उपरांत की जाएगी।