15 सालों से अटकीं थीं भर्तियां इस भर्ती में 2422 सुपरवाइजर और 1054 क्लर्क के पद शामिल हैं। इनके लिए आवेदन 2006 में लिए गए थे। 2007 में सरकार बदलने और अधीनस्थ सेवा चयन आयोग भंग होने के कारण भर्तियां नहीं हो पाईं। दोबारा 2011 में आवेदन लिए गए। पहली बार 1.71 लाख और दोबारा 3.19 लाख आवेदन पत्र आए। इस बीच सरकारी हीलाहवाली और सरकार बदलने पर भर्ती पर लगने वाली रोक इस भर्ती के आड़े आ गई और भर्ती नहीं हो सकी। इस बीच कई अभ्यर्थियों की आयु ज्यादा हो गई, इसलिए वे आयु में छूट मांगने लगे। भाजपा सरकार बनने पर 2018 में इन भर्तियों के लिए सूचना अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को भेजी गई, लेकिन आयोग ने इस पर आपत्ति लगाते हुए वापस भेज दिया कि पहले पुराने विज्ञापन पर आए आवेदन पत्रों पर निर्णय लिया जाए।
सीएम योगी ने लिया फैसला बीते साल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मिशन रोजगार के तहत इन भर्तियों का मुद्दा भी उठा था। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में फैसला लेते हुए 2006 में हुए विज्ञापन को कालातीत माना गया और नए सिरे से भर्तियां करने पर सहमति बनी। अब नए सिरे से सूचना भेजे जाने की तैयारी चल रही है। इस बीच क्लर्क की नियमावली में परिवर्तन हुआ और इसके लिए कम्पयूटर में ट्रिपल सी कोर्स को भी अनिवार्य कर दिया गया।