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शादियों में डीजे बजाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बहुत बड़ा फैसला, सुनाया ये आदेश

locationलखनऊPublished: Nov 21, 2019 09:27:22 am

डीजे वालों ने हाईकोर्ट के आदेश (High Court on DJ) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court on DJ) में रोजगार के मौलिक अधिकार का हवाले देते हुए याचिका दायर की थी…

शादियों में डीजे बजाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बहुत बड़ा फैसला, सुनाया ये आदेश

शादियों में डीजे बजाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बहुत बड़ा फैसला, सुनाया ये आदेश

लखनऊ. उत्तर प्रदेश (Utter Pradesh) वासियों के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की तरफ से अच्छी खबर आई है। अब यूपी वाले शादी-विवाह सहित अन्य समारोहों में जमकर डीजे बजा सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में शादी समारोह में प्रसिद्ध डीजे (Supreme Court on DJ) की धुन पर थिरकने का रास्ता साफ कर दिया है शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें प्रदेश के अंदर डीजे बजाने पर पूरी तरह से पाबंदी लागू कर दी गई थी। आपको बता दें कि बीते 14 अक्टूबर को हाईकोर्ट ने पूरे राज्य में डीजे (High Court on DJ) बजाने पर रोक लगा दी थी। जिसके बाद डीजे वालों ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रोजगार के मौलिक अधिकार का हवाले देते हुए याचिका दायर की थी।

सुप्रीम कोर्ट ने दी राहत

20 अगस्त को इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने ध्वनि प्रदूषण के मद्देनजर राज्य में डीजे चलाने पर रोक लगा दी थी। एक पेशेवर डिस्क-जॉकी समूह ने हाईकोर्ट के आदेश को संविधान के अनुच्छेद 16 का उल्लंघन बताते हुए इसके चलते अपने बेरोजगार हो जाने की दुहाई दी थी। उन्होंने दावा किया था कि हाईकोर्ट ने जिस याचिका पर आदेश सुनाया था, उसमें एक खास इलाके की शिकायत की गई थी। पीठ ने यूपी सरकार को याचिकाकर्ताओं के आवेदन पर गौर कर उन्हें डीजे चलाने की इजाजत देने का आदेश दिया। अब इस मामले की अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होनी है।

हाईकोर्ट ने डीजे पर लगाई थी रोक

दरअसल बढ़ते ध्वनि प्रदूषण को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीते 14 अक्टूबर को प्रदेश भर में डीजे बैन कर दिया था। कोर्ट ने मानव स्वास्थ्य के लिए ध्वनि प्रदूषण को खतरा मानते हुए डीजे बजाने की अनुमति देने पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने बच्चों, बुजुर्गों औऱ अस्पतालों में भर्ती मरीजों की सहूलियत को देखते हुए सूबे में डीजे बजाने की अनुमति देने पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को टीम बनाकर ध्वनि प्रदूषण की निगरानी करने और दोषियों पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। कोर्ट ने दो टूक कहा कि अगर आदेश के बाद भी डीजे बजेगा तो उसके लिए संबंधित थाना इंचार्ज जिम्मेदार माना जाएगा। साथ ही इस निर्देश को न मानने वाले पर 5 साल कैद के साथ एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाए जाने का आदेश दिया।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला सही

वहीं लखनऊ के एक पेशेवर डिस्क-जॉकी समूह के सदस्यों का कहना है कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट के फैसले से काफी राहत मिली है। क्योंकि हाइकोर्ट के आदेश के बाद तो हम लोग पूरी तरह से बेरोजगारी की कगार पर पहुंच गए थे। हम लोगों के पास आय का कोई दूसरा साधन नहीं बचा था। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें राहत देते हुए सही फैसला दिया है।

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