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सुप्रीम कोर्ट का सुप्रीम फैसला-कल्याण और मुलायम की चुप्पी के क्या हैं मायने

locationलखनऊPublished: Nov 09, 2019 04:26:35 pm

Submitted by:

Anil Ankur

सुप्रीम कोर्ट का सुप्रीम फैसला-कल्याण और मुलायम की चुप्पी के क्या हैं मायने
 

कल्याण और मुलायम की चुप्पी

कल्याण और मुलायम की चुप्पी

अनिल के. अंकुर

लखनऊ। राम जन्म भूमि पर शनिवार को सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर इस घटना के सभी नायक खामोश हैं। कोई कुछ नहीं बोल रहा है। न कल्याण सिंह बोले और न ही मुलायम सिंह यादव। यहां तक कि अन्य बड़े नेताओं ने भी इस फैसले पर चुप्पी साधना ही बेहतर समझा।
मुलामय ने कहा था परिंदा भी पर नहीं मार सकता

मुलायम सिंह यादव जब यूपी के सीएम थे तब कारसेवकों ने राम जन्म भूमि और बाबरी मस्जिद के लिए कूच किया था। तब बतौर मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि कारसेवक क्या बाबरी मस्जिद के आसपास परिंदा भी पर नहीं मार सकता। उसके बाद भी जब कारसेवक नहीं माने तो वहां तैनात सुरक्षाबलों द्वारा गोलियां चलाई गईं। इस घटना के बाद से मुलायम सिंह यादव मुसलमानों के निर्विवाद नेता बने रहे।
कल्याण के जमाने कारसेवकों ने ढहाई बाबरी मस्जिद

1992 में भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश सरकार मुख्यमंत्री कल्याण सिंह थे। हिन्दू संगठनों और संतों द्वारा बार-बार मंदिर निर्माण को लेकर दबाव बढ़ रहा था। नवम्बर के अंत संतों ने अयोध्या कूच का ऐलान कर दिया। भारी दबाव के बाद भी प्रदेश सरकार ने वहां सुरक्षा के व्यापक बंदोबस्त कर दिए थे, लेकिन कारसेवकों को रोका नहीं। उसके बाद 6 दिसम्बर को कारसेवकों की भीड़ ने बाबरी मस्जिद ढहा दी थी। इस घटना में 16 लोग मारे गए थे। पूरे देश में दंगे हुए। इस घटना की जिम्मेदारी लेते हुए मुख्यमंत्री कल्याण ङ्क्षसह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
विधानसभा और लोकसभा में मुलायम माना धार्मिक स्थल

लोकसभा, विधानसभा और अन्य कार्यक्रमों में मुलायम सिंह यादव अपने मुख्यमंत्री होते हुए गोली चलवाने पर दुख जाहिर किया था। मुलायम सिंह यादव ने कारसेवकों पर गोली चलाए जाने पर अफसोस जताया है। एक प्रोग्राम में उन्होंने कहा, “अयोध्या में कारसेवकों पर फायरिंग करवाने का मुझे दुख है। लेकिन, धर्मस्थल को बचाना भी जरूरी था।” उल्लेखनीय है कि 1990 में कारसेवकों पर हुई फायरिंग में 16 लोग मारे गए थे। उन्होंने कहा कि पार्लियामेंट में तब के अपोजिशन लीडर अटल बिहारी वाजपेयी ने इस घटना का जिक्र किया था। मैंने उन्हें यह जवाब दिया था कि धर्मस्थल बचाने के लिए गोली चलाई गई थी। सपा संस्थापक मुलायम ने कहा कि अगर धर्मस्थल को बचाने में और भी जान जातीं, तब भी मैं पीछे नहीं हटता। इसीलिए बाद में उन्होंने नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे दिया था।
चुप्पी साधे बैठ हैं ये दोनो नायक

मुलायम सिंह यादव विक्रमादित्य मार्ग स्थित अपने आवास पर मौजूद थे। दोपहर को वह पार्टी कार्यालय भी आए। पार्टी दफ्तर में पत्रकारों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई थी। सपा कार्यालय में कुछ देर रुकने के बाद मुलायम अपने आवास चले गए। सुबह से मीडिया उनके आवास और दफ्तर में उन्हें घेर कर बात करने की कोशिश में जुटी थी, पर वह इससे बचते रहे। इसी प्रकार कल्याण सिंह लखनऊ से दिल्ली चले गए थे। फोन पर उनसे बात करने की कोशिश की गई पर, उन्होंने कोई बात नहीं की। अयोध्या मामले के विशेषज्ञ रहे वरिष्ठ पत्रकार बृजेश शुक्ला कहते हैं कि अदालत के फैसले पर बड़े नेता बोलने से बचते हैं, यही कारण है कि दोनो नेता प्रेस से दूरी बनाए हुए हैं।
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