लखनऊ निवासी ज्योतिषाचार्य दिनेश तिवारी ने बताया है कि सूर्य ग्रहण हमेशा अमावस्या के दिन ही लगता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार पौष माह की कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को पौष अमावस्या कहते हैं और 26 दिसंबर को पौष अमावस्या है। इस अमावस्या पर सूर्य की पूजा का विधान है। इस दिन पितृदोष शांति और पिछले जन्म के पापों के अशुभ प्रभावों से मुक्ति के लिए उपाय किए जाते हैं। सूर्य ग्रहण लगने से अमावस्या के ये उपाय सूतक लगने से पहले ही कर लिए जाते हैं। दरअसल सूतक लगने पर मंदिरों के कपाट बंद हो जाते हैं। इसलिए अमावस्या का स्नान- दान और सूर्य ग्रहण का स्नान- दान दोनों किए जाने महत्वपूर्ण हैं।
महत्वपूर्ण तिथि
ग्रहण प्रारम्भ काल – 08:17 ए एम (26 दिसंबर 2019)
परमग्रास – 09:31 ए एम तक (26 दिसंबर 2019)
ग्रहण समाप्ति काल – 10:57 ए एम तक (26 दिसंबर 2019)
खण्डग्रास की अवधि – 02 घण्टे 40 मिनट्स 22 सेकण्ड्स
अधिकतम परिमाण – 0.56
सूतक प्रारम्भ – 05:32 पी एम, दिसम्बर 25 से
सूतक समाप्त – 10:57 ए एम (26 दिसंबर) को
सूर्य ग्रहण और सूतक काल समय (Solar Eclipse Date And Sutak Kal Time)
सूर्य ग्रहण (Surya Grahan) की अवधि सूतक ग्रहण से 12 घंटे पहले 25 दिसंबर को शाम 05:32 मिनट से लेकर 26 दिसंबर को सुबह 10:57 मिनट पर होगी। आंशिक सूर्य ग्रहण की अवधि सुबह 08.17 से 10:57 बजे तक रहेगी।
काशी समय के अनुसार ये है समय
26 दिसंबर को सूर्यग्रहण सुबह 8:21 बजे से शुरू होगा। 8:21 बजे से स्पर्श केबाद 9:40 बजे ग्रहण का मध्य होगा, 11:14 बजे मोक्ष होगा। ग्रहण लगभग 173 मिनट लंबा चलेगा। लखनऊ में यह इस बार एक मिनट पहले 8:20 बजे से शुरू होगा। सूर्यग्रहण का सूतक काल 12 घंटे पहले से शुरू हो जाएगा।
गर्भवती महिलाएं इन बातों का रखें विशेष ख्याल
सूर्य ग्रहण से पहले सूतक काल आरंभ हो जाता है। जिस दौरान कई कार्यों को करने की मनाही होती है। सूतक काल में खासकर गर्भवती महिलाओं को खास ध्यान रखना होगा। गर्भवती महिलाएं सूतक काल के प्रारंभ होते ही चाकू एवं छुरी का उपयोग न करें। माना जाता है कि इसका सीधा असर सीधा गर्भ में पल रहे बच्चे पर होता है। न ही सूई धागा का उपयोग करें। सूर्य ग्रहण को नग्न आंखों से कभी नहीं देखें। सभी के लिए सलाह यह है कि इस दौरान खाना न पकाएं। न ही पूजा पाठ करें। मंदिरों के द्वार भी सूतक काल लगने ही बंद कर दें। पके हुए भोजन में तलुसी के पत्ते डालकर रख दें।