लखनऊ. दशहरे के बाद मौसम में बदलाव से डेंगू का प्रकोप तो कम हो गया, लेकिन स्वाइन फ्लू ने दस्तक दे दी है। पिछले दिनों पीजीआई में स्वाइन फ़्लू के मरीज मिलने से स्वास्थ्य विभाग में हड़कम्प मच गया है। इसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने यूपी के सरकारी अस्पतालों में स्वाइन फ़्लू को लेकर अलर्ट जारी कर दिया है। गौरतलब है कि राजधानी मेंं स्वाइन फ़्लू के चार मामले सामने आ चुके हैं। इसमेंं दो मरीज झारखंड, एक गोरखपुर तथा एक लखनऊ के तेलीबाग का था। आयुर्वेदिक उपचार बलरामपुर अस्पताल के आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. अरुण निरंजन ने बताया कि स्वाइन फ़्लू से बचने के लिए तुलसी की पत्ती, गिलोय का काढ़ा, आवंले सहित विटामिन सी वाले फलों जैसे संतरे, नींबू , आदि का प्रयोग अधिक करना चाहिए। इसके अलावा अक्टूबर से लेकर जनवरी माह तक खाने के साथ 24 घंटे में 3 से 4 लहसुन की कली अवश्य लेनी चाहिए। योग से रोकथाम बलरामपुर अस्पताल के योग चिकित्सक डॉ. नन्दलाल यादव ने बताया कि अक्टूबर से जनवरी तक स्वाइन फ़्लू का प्रकोप ज्यादा रहता है। इस दौरान भर्तिस्का , प्राणायाम, जलनीति क्रिया सहित सूर्य नमस्कार करना चाहिए। रोजाना कम से कम दो राउंड सूर्य नमस्कार, 10 मिनट तक प्राणायाम और 200 बार भर्तिस्का (जल्दी-जल्दी सांस लेने और छोड़ने की क्रिया करना) करने से आप पर स्वाइन फ़्लू का वायरस अटैक नहीं करेगा। यूनानी पद्धति से रोकथाम यूनानी चिकित्सक डॉ. सलमान ने बताया कि यह बलगमी बुखार है। इस बीमारी से बचाव के लिए सब्जियों में हींग का उपयोग करें। साथ ही अजवाइन का पानी उबालकर दिन में दो बार पियें। होम्योपैथी से रोकथाम होम्योपैथी मेडिकल कॉलेज के डॉ. विजय पुष्कर ने बताया कि प्राथमिक स्तर पर होम्योपैथी में एकोनाइट और आरसेनिक एलबम दवा ली जा सकती है। साथ ही गैलसेमियम और ब्रायोनिया नामक दो होम्योपैथिक दवाएं एच1एन1 को रोकने में कारगर साबित हुई हैं। स्वाइन फ़्लू के लक्षण – नाक का लगातार बहना, छींक आना, नाक जाम होना। – मांसपेशियों में दर्द या अकड़न महसूस करना। – सिर में भयानक दर्द। – कफ, लगातार खांसी व बुखार होना बचाव – सर्दी-जुकाम हो तो घर में ही रहें। – खांसने-छींकने वालों से दूर रहें। – खान-पान का ध्यान रखें ताकि वायरस का असर न हो सके। – हाथों को साबुन से धोते रहें।