बता दें कि प्रदेश में संस्कृत शिक्षा परिषद से संबद्ध 1093 स्कूल संचालित हैं। इनमें 973 स्कूल अशासकीय सहायता प्राप्त, दो राजकीय एवं 120 स्कूल निजी क्षेत्र के हैं। परिषद से जुड़े सूत्रों ने बतया कि साल 2001 तक सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी से स्कूलों को अस्थायी मान्यता दी जाती थी। इसके अलावा सिलेबस भी वहीं का फॉलो किया जाता था। वहीं के सिलेबस से पढ़ाई भी कराई जाती थी लेकिन बीते कुछ माह पूर्व राज्य सरकार ने परिषद का गठन करते हुए पाठयक्रम समिति भी निर्धारित कर दी ताकि विशेषज्ञ सिलेबस तैयार करें और संस्कृत के छात्रों को परिषद का सिलेबस पढ़ने को मिले।
पहले ही हो गई थी घोषणा योगी सरकार बनने के बाद ही तय हो गया था कि जल्द ही संस्कृत स्कूलों में नए पैटर्न से पढ़ाई होगी। मिली जानकारी के मुताबिक, नए सिलेबस को तैयार करने के लिए अप्रैल, मई से लेकर जून में अलग-अलग पाठयक्रम समिति की बैठकें भी हुई। जिसमें तय हुआ कि संस्कृत के विद्यार्थी भी आधुनिक विषयों की पढ़ाई कर सकेंगे। साथ ही यूपी बोर्ड की तर्ज पर यहां भी एनसीईआरटी सिलेबस लागू किया जाएगा लेकिन कई बैठकों के बाद भी सिलेबस अब तक तैयार नहीं हो पाया।लिहाजा, संस्कृत बोर्ड के छात्रों को पुराने सिलेबस के आधार पर पढ़ाई करनी पढ़ रही है।
सीएम भी चाहते हैं संस्कृत को मिले बढ़ावा पिछले दिनों सीएम ने एक कार्यक्रम के दौरान संस्कृतो को बढ़ावा देने की बात कही थी। सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश सरकार संस्कृत को आधुनिकरण से जोड़ेगी।संस्कृत के आधुनीकरण को लेकर सीएम योगी ने कहा कि भारत दुनियां का एक प्राचीन राष्ट्र है। यह हमारे पुराणों में है। भारत का स्वाभिमान जाग्रत ना हो सके इसीलिए संस्कृत विषय की उपेक्षा होती रही है। हम अपनी परंपरा को लेकर चलें अच्छी बात है।।भारत की परंपरा कभी जड़वादी नहीं रही है। जहां कहीं भी प्रगति के स्वर दिखे हमने उनको अंगीकार किया है। संस्कृत को आधुनिकता से जोड़िए।।दुनियां इस बात को मानती है कि कम्प्यूटर की सबसे सरल भाषा संस्कृत है। हम संस्कृत को विज्ञान, गणित समेत दुनियां से जोड़ेंगे। यह भाषा नहीं है यह देववाणी है। संस्कृत के साथ अन्यों को जोड़ कर उन्नत प्रयास करना चाहिए। संस्कृत के माध्यम से आधुनिकता और पुरातन का एक बेहतर समन्वय जरूरी है। विगत एक वर्ष के दौरान आपने हर क्षेत्र में परिवर्तन देखा होगा।