यही नहीं इन रचनात्मक प्रयासों से कोरोना को लेकर किसी भी तरह के मिथक या गलत जानकारी को भी दूर किया जा सकता है । इसके अलावा नकारात्मक विचारों को दूरकर लोगों में सकरात्मक पहलू पर गौर करने के लिए भी प्रेरित किया जा सकता है । इसके लिए यह भी जरूरी है कि अपने किसी भी परिचित या घर-परिवार के सदस्यों व दोस्तों को कोरोना से जुड़ी वही सामग्री शेयर करें जो कि सत्यता की कसौटी पर सौ फीसद खरी हो । यह सोशल मीडिया का कोई सन्देश या ग्राफिक भी हो सकता है । इस तरह सही मायने में कोरोना चैम्पियन बनकर अपनों के साथ पूरे समुदाय को कोरोना से सुरक्षित बनाने को कोई भी आगे आ सकता है क्योंकि कोरोना के बारे में सच्चाई को ही सामने लाना आज की सबसे बड़ी जरूरत है ।
कोरोना अनुरूप व्यवहार के लिए करें प्रेरित कोरोना चैम्पियन बनकर समुदाय को मास्क, दो गज की दूरी और हाथों की स्वच्छता के प्रति भी प्रेरित करने का नेक काम इन रचनात्मक माध्यमों से किया जा सकता है । यही वह अस्त्र हैं जिसके सहारे हम कोरोना का डटकर मुकाबला कर सकते हैं । इसके अलावा अपने ऐसे अनुभवों को लोगों से साझा कर सकते हैं जो कि उनको सुरक्षित बनाने में बेहद कारगर हों । लोगों से अपील की जा सकती है कि जब तक कोरोना के मुकम्मल इलाज की व्यवस्था नहीं हो जाती तब तक किसी तरह की भी ढिलाई बरतना किसी के भी हित में नहीं है ।
पिछले नौ माह से लोगों को जागरूक करने में जुटे डॉ. अनुरुद्ध अपने लेखों के जरिये लोगों तक कोविड-19 की शुरुआत से ही सही जानकारी पहुँचाने में जुटे डॉ. अनुरुद्ध वर्मा का कहना है कि सबसे पहले तो उन्होंने सरकार और स्वास्थ्य विभाग की अधिकृत साइट से कोरोना वायरस के बारे में सही जानकारी प्राप्त की । इसके बाद जब सैम्पल लेने पहुँचने वाले स्वास्थ्य कर्मियों के प्रति लोगों के दुर्व्यहार या कोरोना पाजिटिव के प्रति भेदभाव की बातें सामने आने लगीं तब लगा कि सही जानकारी के अभाव में लोग ऐसा कदम उठा रहे हैं । उसी वक्त से मीडिया के जरिये लेख लिखकर साझा किया कि स्वास्थ्यकर्मी समाज की भलाई के लिए ही यह कार्य कर रहे हैं । इसके अलावा कोरोना पाजिटिव या उनके परिवार वालों के प्रति भेदभाव बरतने वालों को जागरूक कर उनके मन से यह इस भावना को दूर करने की भी कोशिश की । हर मिलने-जुलने वालों को भी इस बारे में जागरूक बनाया ।